माकपा महासचिव सीताराम येचुरी. (फाइल फोटो)
हैदराबाद:
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए कांग्रेस के साथ माकपा का कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं होगा. हालांकि संसद के भीतर और बाहर 'तालमेल' रहेगा. कई हफ्ते की अनिश्चितता के बाद येचुरी को रविवार को एकमत से माकपा महासचिव दोबारा चुना गया. हैदराबाद में पार्टी की 22वीं कांग्रेस के समापन चरण में नवनिर्वाचित 95 सदस्यीय केंद्रीय कमेटी ने 65 साल के येचुरी को पार्टी प्रमुख चुना.
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समापन सत्र के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए येचुरी ने कहा कि राज्यों की जमीनी हकीकत के आधार पर माकपा अपनी 'चुनावी-रणनीतिक लाइन' तय करेगी. उन्होंने कहा कि माकपा इस कांग्रेस से एकजुट पार्टी के रूप में उभरी है और वैकल्पिक नीतिगत रूपरेखा पेश करने का 'क्रांतिकारी काम' करने के लिए यह प्रतिबद्ध है. सत्ताधारी भाजपा को मात देने के लिए पार्टी लोगों को जोड़कर संघर्ष मजबूत करेगी.
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येचुरी ने कहा, 'यह पार्टी कांग्रेस एकता के लिए थी. हम लोगों के संघर्ष को मजबूत करके आगे बढ़ेंगे. वामपंथ की वैकल्पिक नीतियों के आधार पर यह लड़ाई लड़ी जाएगी. हमें भाजपा को हराना है यह हमारा पहला काम है.'
माकपा नेता ने कहा, 'कांग्रेस के साथ हमारा कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं होगा, लेकिन सांप्रदायिकता रोकने के लिए (संसद के) बाहर और भीतर इसके साथ हमारा तालमेल होगा.'
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येचुरी की इस राजनीतिक लाइन को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है कि भाजपा से मुकाबले के लिए माकपा को कांग्रेस के साथ गठबंधन या तालमेल करना चाहिए कि नहीं. कल पार्टी नेतृत्व ने इस बाबत बीच का रास्ता चुना. पार्टी ने तय किया कि वह कांग्रेस के साथ 'कोई तालमेल नहीं' वाले हिस्से को हटाकर इस मुद्दे पर अपने आधिकारिक मसौदे में संशोधन करेगी. पार्टी के इस फैसले को येचुरी खेमे की जीत की तरह देखा जा रहा है.
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प्रकाश करात द्वारा समर्थित आधिकारिक मसौदे में कहा गया था कि माकपा को 'कांग्रेस पार्टी के साथ किसी तालमेल या चुनावी गठबंधन के बगैर' सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करना चाहिए. लेकिन संशोधित मसौदे में अब लिखा गया है कि 'कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीतिक गठबंधन के बगैर' पार्टी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट कर सकती है. इससे माकपा और कांग्रेस के बीच चुनावी तालमेल का रास्ता खुला रहेगा. येचुरी ने 2015 में विशाखापत्तनम में हुई 21वीं पार्टी कांग्रेस में महासचिव पद पर प्रकाश करात की जगह ली थी.
(इनपुट : भाषा)
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समापन सत्र के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए येचुरी ने कहा कि राज्यों की जमीनी हकीकत के आधार पर माकपा अपनी 'चुनावी-रणनीतिक लाइन' तय करेगी. उन्होंने कहा कि माकपा इस कांग्रेस से एकजुट पार्टी के रूप में उभरी है और वैकल्पिक नीतिगत रूपरेखा पेश करने का 'क्रांतिकारी काम' करने के लिए यह प्रतिबद्ध है. सत्ताधारी भाजपा को मात देने के लिए पार्टी लोगों को जोड़कर संघर्ष मजबूत करेगी.
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येचुरी ने कहा, 'यह पार्टी कांग्रेस एकता के लिए थी. हम लोगों के संघर्ष को मजबूत करके आगे बढ़ेंगे. वामपंथ की वैकल्पिक नीतियों के आधार पर यह लड़ाई लड़ी जाएगी. हमें भाजपा को हराना है यह हमारा पहला काम है.'
माकपा नेता ने कहा, 'कांग्रेस के साथ हमारा कोई राजनीतिक गठबंधन नहीं होगा, लेकिन सांप्रदायिकता रोकने के लिए (संसद के) बाहर और भीतर इसके साथ हमारा तालमेल होगा.'
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येचुरी की इस राजनीतिक लाइन को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है कि भाजपा से मुकाबले के लिए माकपा को कांग्रेस के साथ गठबंधन या तालमेल करना चाहिए कि नहीं. कल पार्टी नेतृत्व ने इस बाबत बीच का रास्ता चुना. पार्टी ने तय किया कि वह कांग्रेस के साथ 'कोई तालमेल नहीं' वाले हिस्से को हटाकर इस मुद्दे पर अपने आधिकारिक मसौदे में संशोधन करेगी. पार्टी के इस फैसले को येचुरी खेमे की जीत की तरह देखा जा रहा है.
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प्रकाश करात द्वारा समर्थित आधिकारिक मसौदे में कहा गया था कि माकपा को 'कांग्रेस पार्टी के साथ किसी तालमेल या चुनावी गठबंधन के बगैर' सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करना चाहिए. लेकिन संशोधित मसौदे में अब लिखा गया है कि 'कांग्रेस पार्टी के साथ राजनीतिक गठबंधन के बगैर' पार्टी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट कर सकती है. इससे माकपा और कांग्रेस के बीच चुनावी तालमेल का रास्ता खुला रहेगा. येचुरी ने 2015 में विशाखापत्तनम में हुई 21वीं पार्टी कांग्रेस में महासचिव पद पर प्रकाश करात की जगह ली थी.
(इनपुट : भाषा)
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