भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 से जुड़ी जटिलताओं को सीमित करने के मकसद से इस बीमारी से स्वस्थ हुए व्यक्ति के प्लाज्मा के प्रभाव का आकलन करने के लिए 21 संस्थानों को एक अध्ययन में शामिल होने की स्वीकृति दे दी है.
अधिकारियों ने बताया कि इस अध्ययन में 452 नमूने शामिल किए जाएंगे. इसमें 400 नमूनों का पंजीकरण होने के बाद कोई नया संस्थान नहीं जोड़ा जाएगा. आईसीएमआर ने केंद्रीय स्तर पर क्लीनिकल परीक्षण जवाबदेही बीमा खरीदा है. इस थेरेपी में कोविड-19 से उबर चुके व्यक्ति के रक्त प्लाज्मा से एंटीबॉडी लेकर उन्हें कोरोना वायरस के रोगी के शरीर में चढ़ाया जाता है जिससे संक्रमण से लड़ने में प्रतिरोधी क्षमता काम करना शुरू कर सकती है.
आईसीएमआर ने कहा कि उसने कई केंद्रों पर क्लीनिकल परीक्षण की पहल की है जिसे प्लासिड ट्रायल नाम दिया गया है. अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. 111 संस्थानों से आशय पत्र प्राप्त हुए हैं. चार मई तक आईसीएमआर ने इस प्लासिड परीक्षण के लिए 21 संस्थानों को मंजूरी दी है.''
इनके अलावा 90 और अस्पतालों ने भी परीक्षण के तहत आवेदन किया है और जरूरी दस्तावेज पूरे होने के आधार पर अर्जियों पर विचार किया जा रहा है.
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