बीके लोशाली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कोस्टगार्ड के विवादित डीआईजी बीके लोशाली को बर्खास्त कर दिया गया है। उन पर पाकिस्तान की आतंकी बोट पर विवादित बयान देने का आरोप था। लोशाली ने कहा था कि उनके आदेश पर ही कोस्टगार्ड ने पाकिस्तान की बोट को उड़ा दिया था, जबकि सरकार और कोस्टगार्ड का दावा था कि बोट को बोट में ही सवार संदिग्ध लोगों ने जला दिया था।
भारतीय सीमा में आई पाकिस्तानी नौका जला दी गई थी
यह पूरा मामला पाकिस्तान की उस संदिग्ध बोट से जुड़ा है जो करीब एक साल पहले नए साल की दरमियानी संध्या (31 दिसम्बर 2014-1 जनवरी 2015) पर पोरबंदर के करीब भारतीय समुद्री सीमा में दाखिल हो गई थी। रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड का दावा था कि पाकिस्तान की यह संदिग्ध बोट भारत में किसी आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए भारतीय सीमा में दाखिल हुई थी, लेकिन कोस्टगार्ड को इसकी भनक लग गई। जब कोस्टगार्ड के युद्धपोत ने उसका पीछा किया तो बोट में सवार लोगों ने बोट को आग के हवाले कर दिया। सरकार का मानना था कि बोट में ज्वलनशील या फिर विस्फोटक पदार्थ मौजूद था।
लोशाली ने दावा किया था कि उनके आदेश पर उड़ाई गई नौका
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस घटना को ‘हराकिरी’ करार दिया था। जापान में हराकिरी शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर लेते है। घटना के कुछ दिन बाद ही डीआईजी लोशाली ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उनके कहने पर ही पाकिस्तानी बोट को उड़ाया गया था। हालांकि लोशाली बाद में अपने बयान से पलट गए थे, लेकिन सरकार ने उनके इस बयान पर कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ कोर्ट-मार्शल की कारवाई के आदेश दे दिए थे। कोर्ट-मार्शल की कार्रवाई में ही उन्हें शनिवार को कोस्टगार्ड से बर्खास्त करने का आदेश दे दिया गया। कोस्टगार्ड के 38 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब गलत बयान देने के मामले में एक सीनियर अधिकारी का कोर्ट-मार्शल हुआ है।
भारतीय सीमा में आई पाकिस्तानी नौका जला दी गई थी
यह पूरा मामला पाकिस्तान की उस संदिग्ध बोट से जुड़ा है जो करीब एक साल पहले नए साल की दरमियानी संध्या (31 दिसम्बर 2014-1 जनवरी 2015) पर पोरबंदर के करीब भारतीय समुद्री सीमा में दाखिल हो गई थी। रक्षा मंत्रालय और कोस्टगार्ड का दावा था कि पाकिस्तान की यह संदिग्ध बोट भारत में किसी आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए भारतीय सीमा में दाखिल हुई थी, लेकिन कोस्टगार्ड को इसकी भनक लग गई। जब कोस्टगार्ड के युद्धपोत ने उसका पीछा किया तो बोट में सवार लोगों ने बोट को आग के हवाले कर दिया। सरकार का मानना था कि बोट में ज्वलनशील या फिर विस्फोटक पदार्थ मौजूद था।
लोशाली ने दावा किया था कि उनके आदेश पर उड़ाई गई नौका
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस घटना को ‘हराकिरी’ करार दिया था। जापान में हराकिरी शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है जो पकड़े जाने के डर से आत्महत्या कर लेते है। घटना के कुछ दिन बाद ही डीआईजी लोशाली ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि उनके कहने पर ही पाकिस्तानी बोट को उड़ाया गया था। हालांकि लोशाली बाद में अपने बयान से पलट गए थे, लेकिन सरकार ने उनके इस बयान पर कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ कोर्ट-मार्शल की कारवाई के आदेश दे दिए थे। कोर्ट-मार्शल की कार्रवाई में ही उन्हें शनिवार को कोस्टगार्ड से बर्खास्त करने का आदेश दे दिया गया। कोस्टगार्ड के 38 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब गलत बयान देने के मामले में एक सीनियर अधिकारी का कोर्ट-मार्शल हुआ है।
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