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बच्चों की जान लेने वाले कफ सिरप को पीकर डॉक्टर भी हुए बेहोश, सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग

भरतपुर CMHO डॉ. गौरव कपूर के मुताबिक डॉक्टर ने भरोसा दिलाने के लिए सिरप पी थी. 108 एम्बुलेंस चालक को भी पिलायी थी. डॉक्टर CMHO गौरव कपूर ने NDTV से इस पूरे प्रकरण की पुष्टि की है कि इसे पीन से से दोनों डॉक्टर और एम्बुलेंस चालक बेहोश हो गए थे.

बच्चों की जान लेने वाले कफ सिरप को पीकर डॉक्टर भी हुए बेहोश, सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग
जानलेवा कफ सिरप को पीकर राजस्थान में एक डॉक्टर और एंबुलेंस के ड्राइवर बेहोश हो गए.
  • मध्य प्रदेश के छिदवाड़ा और राजस्थान में कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत होने की खबरें सामने आई हैं.
  • राजस्थान सरकार ने कफ सिरप के सैंपल जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाई लेकिन दवा पर प्रतिबंध लगा दिया.
  • कफ सिरप से संबंधित विवाद में कई डॉक्टर और फार्मासिस्ट निलंबित किए गए हैं और मामले की जांच जारी है.
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Cough Syrup Child Death Row: मध्य प्रदेश के छिदवाड़ा में कफ सिरप पीने से 9 बच्चों की मौत की खबर सामने आई. इसके बाद राजस्थान से भी दो बच्चों की मौत की खबर सामने आई है. जिसके बाद यह मामला लगातार सुर्खियों में है. राजस्थान से एक और बच्चे की मौत कफ सिरप के कारण होने की बात कही जा रही है. राज्य में तीन बच्चों की जान लेने के बाद जब कफ सिरप की जांच हुई तो उसके सैंपल में कुछ गलत नहीं मिला. शुरुआती जांच के आधार पर सरकार ने माना कि सिरप में कोई गलती है. लेकिन लोग यह मानने को तैयार नहीं. हो भी कैसे, जिनपर यह बीती है, वह ही उसका दर्द समझता है.

दरअसल राजस्थान में चल रहे कफ सिरप विवाद को लेकर स्वास्थ्य विभाग कई सवालों के घेरे में है. सरकार मानने को तैयार नहीं है कि तीन बच्चों में से दो की मौत कफ सिरप पीने के कारण हुई है.

सवाल 1. जांच में सैंपल फेल नहीं, फिर Kayson की दवा को क्यों किया बैन?

सरकार का ये भी दावा है कि Kayson फार्मा के सैम्पल्स की जांच में कोई भी सैंपल फेल नहीं हुआ. लेकिन सरकार ने इसके बावजूद Kayson की सारी 19 दवाइयों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. 2021 में दिल्ली में इसी दवा से 16 बच्चे बीमार हुए थे, जिनमें से 3 की मौत हो गई थी.

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सवाल 2. दिल्ली में बैन हुई दवा राजस्थान के सभी सरकारी अस्पतालों में क्यों

बाद में डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (केंद्र सरकार ) के निर्देश से दिल्ली सरकार ने पूरी दवा वापस ले ली और ये भी निर्देश दिए कि 4 साल से कम उम्र के बच्चों को ये दवा नहीं लिखी जाए. लेकिन सवाल ये है कि जब दिल्ली में इस दवा को लेकर सवाल उठे थे तो राजस्थान में यही दवा हर सरकारी डिस्पेंसरी पर इतने बड़े पैमाने पर क्यों उपलब्ध की जा रही थी?

अब पीड़ितों के समझिए दर्द और जानलेवा कफ सिरप की हकीकत

सवाल 3. 5 साल के नित्यांश के घर में दवा की बोतल, सरकार मानने को तैयार नहीं

5 साल के नित्यांश के माता-पिता का कहना है कि बच्चे को उन्होंने जुलाई में दिखाया था. दवा लेकर आए थे लेकिन दवा दी सितम्बर में और फिर बच्चे की मौत हुई. सरकार ने इस मौत से पल्ला झाड़ लिया है. कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं है. परिवार के पास दवा की बोतल है लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है.

सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की. सीकर के अजीतगढ़ के हाथीदह में जहां एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट निलंबित हुए है, उन्होंने 2 बच्चों को ये दवा दी थी और बच्चे बीमार हुए थे.

सवाल 4. भरतपुर के तीर्थराज और सम्राट के परिजन बोले- दूसरे बच्चे भी हुए बीमार

भरतपुर के 2 साल के तीर्थराज और 2 साल के सम्राट जाटव को डॉक्टर ने सिर्फ कफ सिरप लिखी. पर्ची पर मां-बाप ने सरकारी दवा केंद्र पर दवा मांगी तो उन्हें Dextromethorphan Hydrobromide की शीशी पकड़ा दी गई. जुलाई से लेकर
अभी तक राजस्थान में इस दवा की एक लाख तैंतीस हज़ार दो सौ ग्यारह बोतल के बटीं है.

राजस्थान में मुफ्त दवा योजना के तहत सिर्फ दो दवा ही उपलब्ध है. भरतपुर में तीर्थराज के परिवार के पास दवा की बोतल की फोटो थी, जिसे पीने के बाद बच्चा बीमार हुआ. और उन्होंने ये फोटो तब खींची जब भरतपुर अस्पताल में डॉक्टर्स ने पूछा कि आपने बच्चे को कौन से दवा पिलाई, जिसके बाद वो बीमार हुआ.

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सम्राट जाटव के परिवार के पास आज भी वो दवा की बोतलें है, जिसके कारण बच्चा ख़त्म हो गया. सम्राट की माँ ज्योति ने बताया कि सिर्फ सम्राट ही नहीं घर में बाकी दो बच्चों को भी ये दवा दी, उन्हें उल्टी हुई और वो ठीक हो गए. लेकिन सम्राट जाटव बेहोशी की हालत में ही चल बसा. सरकार घर पर पड़ी बोतलों के आधार पर नहीं मानती कि बच्चे इस कारण बीमार हुए.

चिकित्सा मंत्री का कहना है कि इन तीनों बच्चों की मौत दवा से नहीं हुई है. तो बच्चे के परिवार वाले कहते है कि फिर ये बोत्तलें हमारे पास आई कहाँ से? ये सिर्फ मुख्यामंत्री निशुल्क दवा केंद्र पर उपलब्ध है. सरकारी पैकेज के हिसाब से बांटती है. ये बाजार में नहीं मिलती.

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सबसे बड़ा सबूतः दवा सुरक्षित, बताने के लिए डॉक्टर ने पी सिरफ, हुआ बेहोश

चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा है कि बच्चों की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं. माँ-बाप ही ज़िम्मेदार है. तो सवाल ये है कि जिस डॉक्टर ने ये दवा ली वो क्यों बेहोश हो गया? दरअसल भरतपुर के बयाना उपखंड स्थित कलसाड़ा प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने उस कफ सिरप को पिया, जिसके बाद वो बेहोश हो गए.

डॉक्टर ने एक बच्चे 3 साल के गगन कुमार को ये दवा लिखी थी, 24 सितम्बर को बच्चा बेहोश हो गया, उसका इलाज जयपुर में हुआ और 26 को उससे छुट्टी मिल गयी. परिवार वापस डॉ ताराचंद के पास गया ये शिकायत लेकर की बच्चा दवा से बेहोश हुआ है. तब 27 सितम्बर को परिवार को भरोसा दिलाने के लिए डॉ. तारा चंद ने दवा ली और 3 घंटे बाद बेहोश हो गए.

भरतपुर के CMHO ने कहा- डॉक्टर और एंबुलेंस ड्राइवर हुए बेहोश

भरतपुर CMHO डॉ. गौरव कपूर के मुताबिक डॉक्टर ने भरोसा दिलाने के लिए सिरप पी थी. 108 एम्बुलेंस चालक को भी पिलायी थी. डॉक्टर CMHO गौरव कपूर ने NDTV से इस पूरे प्रकरण की पुष्टि की है कि इसे पीन से से दोनों डॉक्टर और एम्बुलेंस चालक बेहोश हो गए थे.

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सवाल 5. 2023 में अयोग्य घोषित हुई दवा कैसे करती रही सप्लाई

2023 में Kayson फार्मा की एक दवा मानक के अनुसार नहीं होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था. इसके बावजूद Kayson फार्मा राजस्थान सरकार के लिए 19 दवाएं उपलब्ध कराती रही. और खांसी के सबसे ज़्यादा इस्तेमाल करने वाली दवा की सप्लायर बनी.

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सवाल 6. पूर्व चिकित्सा मंत्री ने अपनी ही सरकार पर खड़े किए सवाल

राजस्थान में भाजपा सरकार में ही चिकिस्ता मंत्री रहे राजेंद्र राठौर ने क्यों अपने ही सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. राजेंद्र राठौड़ ने एनडीटीवी से कहा कि वह 8 साल स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं और उनके मन में अभी जो हो रहा है उसे देखकर पीड़ा हो रही है. उन्होंने कहा,"दवा का बनना, दवा का फैक्ट्री से निकलना, दवा का विभिन्न एजेंसियों द्वारा सर्टिफिकेट जारी करना, और उसके बाद दवा से इस तरह से बच्चों की मौत हो जाना एक बहुत गंभीर बात है, और इसके बाद ये कहना कि दवा मानक स्तर की थी, ये कहीं ना कहीं सिस्टम में कमी को दिखाता है."

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