Coronavirus Lockdown: गुजरात के सूरत में अपने अपने गृह नगर लौटना चाह रहे सैकड़ों प्रवासी कामगारों की पुलिस के साथ झड़प हो गई. बड़ी संख्या में मौजूद कामगार खुद को वापस भेजे जाने की मांग कर रहे थे. यह चौथा मौका है जब सूरत में कामगारों ने विरोध प्रदर्शन किया हो.
विरोध कर रहे कामगार सूरत के बाहरी इलाके में स्थित वरेली के बाजार में इकट्ठा हुए थे. कामगारों ने पुलिस पर पथराव भी किया जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे.
#WATCH Gujarat: A clash erupts between migrant workers & police in Surat. The workers are demanding that they be sent back to their native places. pic.twitter.com/aiMvjHGukY
— ANI (@ANI) May 4, 2020
सूरत के पालनपुर पाटिया इलाके में भी मजदूरों ने प्रदर्शन किया. एक अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए. वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए. वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया. पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई. वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए.
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया. इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया. अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कडोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है. उन्होंने बताया कि हालात को बाद में नियंत्रित कर लिया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया. ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके.
उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी. लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने "वैध अनुमति" के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा. श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे. उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है. उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें.
उन्होंने कहा, "हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं. हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है. हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है." राजकोट के बाहरी इलाके में शापर-वेरावल औद्योगिक इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, वे घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए. राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, "हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उनतक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा."
उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक तनख्वाह नहीं दे रहे हैं. सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे. अबतक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं. कुछ प्रवासी मजदूर घर लौटने वाले फॉर्म को भरने के लिए राजकोट कलेक्टर के दफ्तर पर जमा हो गए और कहा कि उनके पास ना खाना है और ना पैसे हैं. उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, "जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं. वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे." (इनपुट भाषा से...)
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