फाइल फोटो : अनिल विज़
चंडीगढ़:
हरियाणा के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का नया चेहरा परिणीति चोपड़ा। अम्बाला की इस छोरी को खट्टर सरकार ने अपने अभियान का ब्रांड एम्बेसडर चुना है, जो अब जानी-मानी बॉलीवुड स्टार बन चुकी है, लेकिन नाम के ऐलान के साथ ही विवाद का सिलसिला शुरू हो गया। स्वास्थ्य महकमे के मंत्री अनिल विज़ मुख्यमंत्री के इस एकतरफ़ा फैसले से खफा बताए जाते हैं।
विज़ ने निमंत्रण के बावजूद मंगलवार को गुड़गांव में आयोजित कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया। इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'न किसी ने मेरी इजाज़त ली और न ही मैंने दी। आज के अख़बारों में कार्यक्रम का जो विज्ञापन छपा है, उसमें मेरे विभाग का कोई ज़िक्र नहीं है। अगर मेरा कार्यक्रम होता तो मेरा नाम मुख्यमंत्री के बाद छपा होता।
कहा जा रहा है कि परिणीति के जरिए मुख्यमंत्री खट्टर प्रधानमंत्री की नक़ल कर रहे हैं जो जनवरी में हुए पानीपत के कार्यक्रम में अपने साथ माधुरी दीक्षित को लाए थे, लेकिन हरियाणा सरकार के इस फैसले से बड़ी बहस भी छिड़ गई है। सरकारी सामाजिक परियोजनाओं की सफलता के लिए क्या सेलिब्रिटी इतने ज़रूरी हो गए हैं, जिन्हें जनता से वसूले टैक्स के पैसे देकर जोड़ा जा रहा है।
परिणीति को खट्टर सरकार ने कितनी रकम चुकाई है, इस पर अफसर खामोश हैं। ऐसे ही कुछ सवाल पहले भी उठ चुके हैं। पिछले हफ्ते डीडी किसान चैनल के लिए अमिताभ बच्चन को 6.31 करोड़ रुपए दिए जाने की खबर आई थी। बाद में अमिताभ ने कहा कि वो इसके लिए पैसे नहीं लेंगे और अब वो पैसे वापस किए जा रहे हैं।
इसके अलावा विद्या बालन, आमिर खान, ऐश्वर्या राय, भाग्यश्री जैसी बॉलीवुड हस्तियां भी किसी न किसी अभियान से जुड़ी हैं। हालांकि ये साफ़ नहीं है कि इन्होंने कोई फीस ली है या नहीं।
सामाजिक कार्यकर्ता शालिनी कहती हैं कि इससे ब्रांड एम्बेसडर को भी फायदा होता है, क्योंकि उनकी खुद की भी ब्रांडिंग होती है। वह घर-घर पहुंच रहे हैं, लेकिन ये देखना भी ज़रूरी है कि इनका कितना योगदान है जिस सामाजिक मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इन्हें चुना गया है।
विज़ ने निमंत्रण के बावजूद मंगलवार को गुड़गांव में आयोजित कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया। इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'न किसी ने मेरी इजाज़त ली और न ही मैंने दी। आज के अख़बारों में कार्यक्रम का जो विज्ञापन छपा है, उसमें मेरे विभाग का कोई ज़िक्र नहीं है। अगर मेरा कार्यक्रम होता तो मेरा नाम मुख्यमंत्री के बाद छपा होता।
कहा जा रहा है कि परिणीति के जरिए मुख्यमंत्री खट्टर प्रधानमंत्री की नक़ल कर रहे हैं जो जनवरी में हुए पानीपत के कार्यक्रम में अपने साथ माधुरी दीक्षित को लाए थे, लेकिन हरियाणा सरकार के इस फैसले से बड़ी बहस भी छिड़ गई है। सरकारी सामाजिक परियोजनाओं की सफलता के लिए क्या सेलिब्रिटी इतने ज़रूरी हो गए हैं, जिन्हें जनता से वसूले टैक्स के पैसे देकर जोड़ा जा रहा है।
परिणीति को खट्टर सरकार ने कितनी रकम चुकाई है, इस पर अफसर खामोश हैं। ऐसे ही कुछ सवाल पहले भी उठ चुके हैं। पिछले हफ्ते डीडी किसान चैनल के लिए अमिताभ बच्चन को 6.31 करोड़ रुपए दिए जाने की खबर आई थी। बाद में अमिताभ ने कहा कि वो इसके लिए पैसे नहीं लेंगे और अब वो पैसे वापस किए जा रहे हैं।
इसके अलावा विद्या बालन, आमिर खान, ऐश्वर्या राय, भाग्यश्री जैसी बॉलीवुड हस्तियां भी किसी न किसी अभियान से जुड़ी हैं। हालांकि ये साफ़ नहीं है कि इन्होंने कोई फीस ली है या नहीं।
सामाजिक कार्यकर्ता शालिनी कहती हैं कि इससे ब्रांड एम्बेसडर को भी फायदा होता है, क्योंकि उनकी खुद की भी ब्रांडिंग होती है। वह घर-घर पहुंच रहे हैं, लेकिन ये देखना भी ज़रूरी है कि इनका कितना योगदान है जिस सामाजिक मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इन्हें चुना गया है।
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