प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाए जाने को चुनौती देते हुए कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने दलील दी कि बार-बार कार्यकाल बढ़ाने से देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट हो रही है. याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रही है.
अधिवक्ताओं वरुण ठाकुर और शशांक रत्नू के जरिए दायर की गई याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या 2 (मिश्रा) के कार्यकाल का विवादित विस्तार देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है, इसलिए यह रिट याचिका दायर की गई है, जिसे न्याय के हित में स्वीकार किया जा सकता है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक स्पष्ट आदेश पारित किया था कि मिश्रा के कार्यकाल को और विस्तार नहीं दिया जाएगा, लेकिन केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर, 2021 से 17 नवंबर, 2022 तक दूसरा विस्तार दिया. इसके बाद उन्होंने याचिका दायर की जिस पर एक नोटिस जारी किया गया.
याचिका में कहा गया है कि इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, प्रतिवादी संख्या 1 ने प्रतिवादी संख्या 2 को 18 नवंबर, 2022 से 18 नवंबर, 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दिया जो दर्शाता है कि प्रतिवादी संख्या 1 का कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है.
इससे पहले, 18 नवंबर को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसके कौल ने ईडी के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाकर पांच साल तक करने के संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
उल्लेखनीय है कि उसके एक दिन पहले ही ईडी प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा को फिर से एक साल का कार्यकाल विस्तार दिया गया था.
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और जया ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले द्वारा दायर याचिकाओं सहित याचिकाओं का एक समूह सुनवाई के लिए पीठ के समक्ष आया था.
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