- संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम तीन दिनों में लोकसभा में महत्वपूर्ण और विवादित बिलों पर चर्चा होगी
- कांग्रेस ने सभी लोकसभा सांसदों को सदन में उपस्थित रहने और मतदान के लिए व्हिप जारी किया है
- राहुल गांधी का विदेश दौरा व्हिप जारी होने से पहले हुआ, इसलिए उनपर व्हिप उल्लंघन का प्रावधान लागू नहीं होगा
संसद के वर्तमान सत्र के आखिरी तीन दिनों में लोकसभा में कुछ बड़े अहम, लेकिन विवादित बिलों पर चर्चा होनी है. कांग्रेस पार्टी ने शीतकालीन सत्र के आखिरी तीन दिनों के लिए अपने सभी लोकसभा सांसदों को सदन में मौजूद रहने को कहा है. पार्टी ने अपने लोकसभा सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है. इसका मतलब , पार्टी के सभी सांसदों के लिए 19 दिसंबर तक लोकसभा में उपस्थित रहना और बिलों के पारित होने के दौरान मतदान करना अनिवार्य रहेगा. ऐसा नहीं करने पर पार्टी उस सांसद के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई कर सकती है.
दरअसल, अगले तीन दिनों में लोकसभा में कुछ अहम और विवादित बिलों पर चर्चा होने की संभावना है. इनमें सबसे अहम है विकसित भारत जी राम जी बिल जो मनरेगा की जगह नए स्कीम की शुरुआत करने के लिए लाया गया है. बिल के नाम और कुछ प्रावधानों को लेकर मंगलवार को लोकसभा के भीतर और बाहर जबरदस्त हंगामा हुआ. इस बिल के अलावा परमाणु ऊर्जा में निजी निवेश की अनुमति देने से जुड़े बिल पर भी चर्चा होनी है.
राहुल गांधी क्यों दायरे में
हालांकि, पार्टी की ओर से व्हिप जारी होने के बाद अब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. व्हिप चूंकि सभी सदस्यों पर लागू होता है, लिहाजा कांग्रेस का सांसद होने के नाते राहुल गांधी भी उसके दायरे में आते हैं. ऐसे में पूछा जा रहा है कि विदेश यात्रा पर गए राहुल गांधी अगर अगले तीन दिन लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेते हैं तो क्या उनपर भी व्हिप के उल्लंघन के लिए कार्रवाई हो सकती है ?
राहुल गांधी पर क्या एक्शन होगा
एनडीटीवी ने इस सवाल के जवाब के लिए कांग्रेस सूत्रों से जानकारी ली. सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी व्हिप जारी होने के पहले ही विदेश जा चुके हैं. लिहाजा वो इसके दायरे में नहीं आएंगे. दूसरी बात ये भी है कि राहुल गांधी के विदेश जाने की सूचना पार्टी के संसदीय कार्यालय को पहले से ही है. जानकारों ने भी बताया कि व्हिप की परम्परा में कुछ अपवाद भी रखे गए हैं. जैसे , अगर कोई सांसद गंभीर रूप से बीमार हो जाए और संसद आने की हालत में न हो तो उसपर व्हिप लागू नहीं होता है. ऐसे ही, अगर पूर्व सूचना देकर कोई सांसद अनुपस्थित रहता है तो भी व्हिप उसपर लागू नहीं होता है.
व्हिप पर कौन लेता है फैसला?
जानकारों ने ये भी बताया कि अगर कोई सांसद व्हिप का उल्लंघन करता है तो पार्टी को उसके खिलाफ़ कार्रवाई करनी है या नहीं , ये पार्टी के ही अधिकार क्षेत्र में है. उदाहरण के लिए , अगर कोई लोकसभा सांसद व्हिप के बावजूद सदन में नहीं आता है तो पार्टी उसके खिलाफ स्पीकर को शिकायत करेगी या नहीं , इसका फैसला पार्टी ही करती है.
संविधान में व्हिप?
वैसे व्हिप का संविधान या संसदीय नियमों और प्रक्रिया में कोई सीधा जिक्र नहीं है. इस लिहाज से ये नियम से ज्यादा परंपरा है. हालांकि, संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत दल बदल के क़ानून में व्हिप की बड़ी अहम भूमिका होती है. पार्टी की ओर से जारी व्हिप का उल्लंघन करने पर दल बदल कानून के तहत किसी सदस्य की सदस्यता भी छीनी जा सकती है.
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