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This Article is From Apr 10, 2015

मुआवजा या मजाक : यूपी में किसानों को बांटे गए 150 से 200 रुपये तक के चेक

मुआवजा या मजाक : यूपी में किसानों को बांटे गए 150 से 200 रुपये तक के चेक
मथुरा:

बेमौसम बारिश से बरबाद किसानों को मिलने वाला मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। हालांकि यूपी सरकार केंद्र की तय रकम से दोगुना मुआवजा दे रही है, लेकिन फिर भी डेढ़ से दो सौ रुपये के कुछ चेक भी बांटे जा रहे हैं।

सरकार कुछ सख्त हुई तो अफसर गांवों में पहुंचने लगे। कैंप लगाकर चेक दिए गए हैं। फैजाबाद के गांव में मुआवजे की रकम तो देखिए 187 रुपये, 188 रुपये। इतने में तो किसी ढाबे में एक आदमी का एक वक्त का खाना भी न हो।

फैजाबाद के किसान राम सुमेर ने कहा, इसमें हमारा जीवनयापन नहीं हो पाएगा। इससे हम लोगों को कोई लाभ नहीं होगा। इतने में इससे बच्चे कैसे पाल लेंगे?

फैजाबाद के एक अन्य किसान जग प्रसाद ने कहा, आत्महत्या करनी पड़ेगी। हमको बच्चों को जहर देना पड़ेगा।

सरकारी मुआवजे की रकम ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। केंद्र के पुराने नियम से असिंचित इलाके में मुआवजा 4500 रुपये प्रति हेक्टेयर और सिंचित में 9000 रुपये प्रति हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर में चार बीघा यानी 80 कट्ठे होता है। इस तरह एक बीघा का मुआवजा सिंचित में 1225 रुपये हुआ। अगर रेवेन्यू रिकॉर्ड में एक बीघे में पांच मालिक हैं तो हर एक को मुआवजे के 225 रुपये मिले।

यूपी सरकार इसका दोगुना दे रही है, लेकिन शायद इससे ज्यादा रकम तो मुआवजा बांटने में खर्च हो रही होगी।

बाराबंकी के किसान राम सरन वर्मा ने बताया, गेहूं की कल्टीवेशन कॉस्ट एक हेक्टेयर में 20 हजार आ रही है। सरसों की 15000 रुपये और आलू में प्रति हेक्टेयर एक लाख 20 हजार से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आ रहा है। मटर में 20,000 आ रही है, तो कोई भी कल्टीवेशन की, जो हमारी लागत है, वह उससे बहुत ही कम है। इससे किसानों को बहुत लाभ होने वाला नहीं है। फसल का बीमा भी यूपी में बहुत थोड़े से किसानों का है। उसमें भी तमाम पेंच हैं।

बाराबंकी के किसान बदरी प्रसाद से जब सवाल पूछा कि जो फसल बीमा है उससे तो कोई पैसा-वैसा मिलेगा? तो उन्होंने बताया कि खाद कर्ज पर लेते हैं। उसमें बताते हैं कि 70 प्रतिशत नुकसान होगा तो फसल बीमा का लाभ मिलेगा और यहां सरकार 25-30 फीसदी दिखाती है। उसका भी लाभ नहीं मिलेगा।

मुआवजे की हकीकत जानने हम गांव-गांव घूमे। हर जगह हालात एक से हैं। किसी तबाह किसान को 100 से 200 देना जले पर नमक छिड़कने जैसा ही है।

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