पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
कोयला घोटाले में क्या पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को राहत मिली है? क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट की कोल बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी। यानी डॉ. सिंह का केस सुप्रीम कोर्ट की कोल बेंच की मॉनिटरिंग से बाहर हो गया है। अब चीफ जस्टिस इस मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन करेंगे।
इसी के चलते कोयला घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुमारमंगलम बिड़ला मामले की 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा दिया गया है। मनमोहन सिंह के वकील कपिल सिबल ने कोर्ट में कहा कि उनका मामला प्रिवेंशन ऑफ करप्शन के तहत है उसका कोयला घोटाले से कोई लेना देना नहीं है।
इसके अलावा डॉ. सिंह ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के उस प्रावधान को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि इसके तहत मेंस रिया यानी उद्देश्य की जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो इस मामले को 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा रहे हैं। यानी अब सुप्रीम कोर्ट की कौन सी बेंच मामले की सुनवाई करेगी, चीफ जस्टिस तय करेंगे।
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें बतौर आरोपी समन किए जाने के एक स्पेशल कोर्ट के समन के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट में 1 अप्रैल को जस्टिस गोपाल गोडा ने सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया था जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
मनमोहन सिंह ने याचिका में कहा था कि तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे आपराधिक इरादा नहीं था, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधी क़ानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह महज एक प्रशासनिक फ़ैसला था, जिसे एक लंबी प्रक्रिया के तहत लिया गया।
इसके बाद मामले को जस्टिस मदन लोकूर की बेंच अगुवाई वाली कोल बेंच में भेज दिया था जो कोलगेट मामलों की मॉनिटिंरिंग कर रही है। विशेष अदालत ने 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किए और 8 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था।
ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। कोयला घोटाले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के साथ बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख, हिंडाल्को के एमडी शुभेन्दु अमिताभ, हिंडाल्को के एमडी डी भट्टाचार्य का नाम शामिल हैं। अदालत ने आपराधिक साजिश, विश्वासघात और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत इन सभी को समन किया।
इसी के चलते कोयला घोटाले में सुप्रीम कोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुमारमंगलम बिड़ला मामले की 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा दिया गया है। मनमोहन सिंह के वकील कपिल सिबल ने कोर्ट में कहा कि उनका मामला प्रिवेंशन ऑफ करप्शन के तहत है उसका कोयला घोटाले से कोई लेना देना नहीं है।
इसके अलावा डॉ. सिंह ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के उस प्रावधान को भी चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि इसके तहत मेंस रिया यानी उद्देश्य की जरूरत नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वो इस मामले को 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा रहे हैं। यानी अब सुप्रीम कोर्ट की कौन सी बेंच मामले की सुनवाई करेगी, चीफ जस्टिस तय करेंगे।
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें बतौर आरोपी समन किए जाने के एक स्पेशल कोर्ट के समन के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट में 1 अप्रैल को जस्टिस गोपाल गोडा ने सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया था जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी।
मनमोहन सिंह ने याचिका में कहा था कि तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे आपराधिक इरादा नहीं था, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधी क़ानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह महज एक प्रशासनिक फ़ैसला था, जिसे एक लंबी प्रक्रिया के तहत लिया गया।
इसके बाद मामले को जस्टिस मदन लोकूर की बेंच अगुवाई वाली कोल बेंच में भेज दिया था जो कोलगेट मामलों की मॉनिटिंरिंग कर रही है। विशेष अदालत ने 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किए और 8 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था।
ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। कोयला घोटाले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के साथ बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख, हिंडाल्को के एमडी शुभेन्दु अमिताभ, हिंडाल्को के एमडी डी भट्टाचार्य का नाम शामिल हैं। अदालत ने आपराधिक साजिश, विश्वासघात और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत इन सभी को समन किया।
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