महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने यहां शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानमंडल में उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा तक नहीं की. विधानसभा और विधान परिषद का 19 दिसंबर से शुरू हुआ सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया.
पवार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विपक्ष ने चार ‘दागी' मंत्रियों के इस्तीफे की मांग की थी. उन्होंने कहा कि सरकार ने मंत्रियों अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ का बचाव किया जिन्हें अलग-अलग मामलों में उच्च न्यायालय की विपरीत टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता ने कहा, ‘‘सरकार ने न तो कार्रवाई की और न ही इस मुद्दे पर संतोषजनक जवाब दिया.'' उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, हमने महाराष्ट्र के राज्यपाल (भगत सिंह कोश्यारी) को महाराष्ट्र की महान हस्तियों का कथित तौर पर अपमान करने वाली टिप्पणियों के लिए हटाने की मांग की थी.'' उन्होंने दावा किया कि सरकार ने इस संबंध में समुचित जवाब नहीं दिया.
विपक्ष के नेता ने कहा कि 10 दिनों के सत्र के दौरान कई मौकों पर मुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे. पवार ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों की समस्याओं को उठाया, लेकिन सरकार जवाब देने में विफल रही.
उन्होंने दावा किया कि सरकार ने फसल बीमा और कपास, धान, संतरे और सोयाबीन के लिए लाभकारी कीमतों के मुद्दों पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि 78,000 करोड़ रुपये की पूरक मांगों को पेश करना वित्तीय रूप से विवेकपूर्ण नहीं था.
इस बीच कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की आलोचना करते हुए उन पर विपक्ष की मांगों को नहीं सुनने का आरोप लगाया. उन्होंने फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन पर भी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों को फसल नुकसान होने पर सिर्फ पांच या 50 रुपये का मुआवजा मिल रहा है.
पटोले ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार ने धान किसानों के लिए 300 रुपये से 400 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा की है, लेकिन राज्य की पिछली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने 700 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया था.
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