जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) की आधिकारिक भाषा को लेकर संसद में पास किए गए बिल, जिसमें पंजाबी का उल्लेख नहीं है, के चार माह बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Chief Minister Amarinder Singh) ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से दखल का आग्रह किया है. अमरिंदर ने इस मामले में पीएम को लेटर लिखा है और महाराजा रंजीत सिंह के काल से इस क्षेत्र से पंजाबी समुदाय का ऐतिहासिक संबंध का हवाला दिया है, उन्होंने भाषाओं की सूची में पंजाबी को भी शामिल किए जाने का आग्रह किया है.
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पंजाब के सीएम ने अपने पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय को भाषाओं की आधिकारिक सूची की समीक्षा करने और इसमें पंजाबी को शामिल करने का मशविरा देने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया है क्योंकि इन भाषाओं को स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा. गौरतलब है कि सितंबर माह में संसद के दोनों सदनों ने जम्मू एंड कश्मीर लेंग्वेजेज बिल (Jammu and Kashmir Languages Bill) पास किया था जिसमें कश्मीरी, डोंगरी और हिंदी के अलावा उर्दू और इंग्लिश भी शामिल हैं. इस कदम की पंजाबी समुदाय ने आलोचना की थी. कांग्रेस, 'आप' और शिरोमणि अकाली दल ने इसके लिए बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए इसे 'अल्पसंख्यक विरोधी कदम' बताया था.
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27 जनवरी की तारीख वाले इस पत्र में कहा गया है, 'जब जम्मू-कश्मीर, भारत के स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था, तब पंजाबी भाषा राज्य में बड़े स्तर पर बोली जाती थी. जम्मू क्षेत्र में रहने वाले सभी पंजाबियों की पंजाबी अभी भी मातृभाषा है. यही नहीं, कश्मीर घाटी में रहने वाले पंजाबी समुदाय के लोग भी पंजाबी बोलते हैं.' पत्र में प्रधानमंत्री से J&K की आधिकारिक भाषाओं की सूची में पंजाबी को भी शामिल करने का आग्रह पीएम से किया गया है ताकि पंजाबी समुदाय में फैली नाराजगी को दूर किया जा सके.
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