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This Article is From Mar 18, 2024

"मुझे कुछ और कहने पर..." : चुनावी बॉन्ड मामले पर SCBA प्रमुख को CJI की खरी-खरी

Electoral Bond: इससे पहले अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे चुनावी बॉन्ड योजना संबंधी फैसले के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय से परामर्श लेने का आग्रह किया था.

"मुझे कुछ और कहने पर..." : चुनावी बॉन्ड मामले पर SCBA प्रमुख को CJI की खरी-खरी
Electoral Bond Case: अग्रवाल ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) के भी अध्यक्ष हैं.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) अध्यक्ष को आज चुनावी बॉन्ड मामले की सुनवाई के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने फटकार लगाई. वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार नेता आदिश सी अग्रवाल ने सीजेआई को एक पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया था कि वे सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश की स्वत: संज्ञान लेकर समीक्षा करें जिसमें कहा गया है कि निर्वाचन आयोग, चुनावी बॉन्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा साझा की गई जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा.

आज जब ये मामला सीजेआई के सामने पेश हुआ तो उन्होंने कहा कि "एक वरिष्ठ वकील होने के अलावा, आप एससीबीए के अध्यक्ष हैं." ⁠आप चिट्ठी लिखकर स्वत: संज्ञान लेने की बात कह रहे हें .⁠ये पब्लिसटी स्टंट याचिका है. हम सुनवाई नहीं करेंगे. मुझसे कुछ और कहने पर मजबूर न करें. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अग्रवाल के अनुरोध से खुद को अलग रखा और कहा कि "हम इसका समर्थन नहीं करते हैं."

दरअसल अग्रवाल ने 14 मार्च को सीजेआई को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा था. अग्रवाल ने सीजेआई से स्वत: संज्ञान लेते हुए उस निर्देश की समीक्षा करने का अनुरोध किया था जिसमें कहा गया है कि ‘‘निर्वाचन आयोग एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करे.''

इससे पहले अग्रवाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर उनसे चुनावी बॉन्ड योजना संबंधी फैसले के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट से परामर्श लेने का आग्रह किया था. अग्रवाल ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा था, ‘‘विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले कॉरपोरेट घरानों के नामों का खुलासा करने से ये घराने उत्पीड़न की दृष्टि से संवेदनशील हो जाएंगे.''

अग्रवाल ने कहा था, ‘‘अगर कॉरपोरेट घरानों के नाम और विभिन्न दलों को दिए गए चंदे की राशि का खुलासा किया जाता है, तो कम चंदा पाने वाले दलों द्वारा इन्हें निशाना बनाए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है और उन्हें परेशान किया जाएगा. यह (कॉरपोरेट कंपनियों से) स्वैच्छिक चंदा स्वीकार करते वक्त उनके साथ किये गये वादे से मुकरने जैसा होगा.''

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुद को उनके विचारों से अलग कर लिया था और कहा था कि पैनल के सदस्यों ने अग्रवाल को राष्ट्रपति को पत्र लिखने को नहीं कहा था.

अग्रवाल ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (एआईबीए) के भी अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- चुनावी बॉन्ड नंबर सहित सारी जानकारी का SBI को करना होगा खुलासा : SC

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