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This Article is From Mar 27, 2023

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने OBC आरक्षण के साथ इलेक्शन कराने की दी इजाजत

इसी साल जनवरी में इस मामलों को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव कराने पर रोक लगा दी थी.

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने OBC आरक्षण के साथ इलेक्शन कराने की दी इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर सुनाया फैसला
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में निकाय चुनाव से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूपी में होने वाले निकाय चुनाव में OBC आरक्षण लागू होगा. कोर्ट ने OBC आयोग की रिपोर्ट को भी स्वीकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निकाय चुनाव का नोटिफिकेशन जारी करने की भी इजाज़त दे दी है. कोर्ट के इस फैसले पर यूपी सरकार ने कहा कि अगर कोर्ट इजाजत देता है तो वह दो दिन के भीतर ही चुनाव को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर सकती है. बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 28 दिसंबर 2022 को OBC आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने 7 मार्च 2023 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. 

गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में इस मामलों को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव कराने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि जिन निकायों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनके कामकाज के लिए विशेष समिति बना दी जाए. यूपी सरकार ने आयोग बनाकर ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने की मोहलत मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीन महीने का समय ज्यादा है. 

उस दौरान सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा था कि राज्य में डीलिमिटेशन की प्रकिया तीन महीने में पूरी कर लेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, तीन महीने का समय बहुत लंबा है क्या इसको और पहले नहीं पूरा किया जा सकता है? यूपी सरकार ने कहा था कि कमीशन के अध्यक्ष नियुक्त किए गए जज साहब से पूछकर बताना होगा कि कम से कम कितने समय में इसको पूरा किया जा सकता है?  मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में इस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई है.

हालांकि SG ने जजमेंट का हवाला देते हुए कहा था कि तीन महीनों के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बना कर एडमिन के अलावा काम को जारी रखा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी तक चुनाव कराने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया. नोटिस पर तीन हफ्तों में जवाब मांगा गया था.

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