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This Article is From Feb 13, 2019

संसद में चिटफंड मामला: टीएमसी पर कांग्रेस के हमले से भड़कीं ममता बनर्जी, सोनिया गांधी से कहा- हम इसे याद रखेंगे

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने ममता बनर्जी से मिलकर कहा कि भले हम संसद में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हों लेकिन हम दोस्त हैं.

संसद में चिटफंड मामला: टीएमसी पर कांग्रेस के हमले से भड़कीं ममता बनर्जी, सोनिया गांधी से कहा- हम इसे याद रखेंगे
ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच संसद में गहमा-गहमी
नई दिल्ली:

चिटफंड घोटाले को लेकर संसद में कांग्रेस (Congress) और टीएमसी (TMC) के बीच गहमा-गहमी दिखी. दरअसल, यह पूरा मामला लोकसभा में  बंगाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधिर रंजन द्वारा सारदा चिटफंड घोटाले को लेकर की गई टिप्पणी से शुरू हुआ. कांग्रेस नेता की इस टिप्पणी से  बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने भड़क गईं. लोकसभा के अंदर की गई इस टिप्पणी के बाद ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने संसद की सेंट्रल हॉल में मुलाकात हुई. मामले को बिगड़ता हुआ देख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने उन्हें शांत करने की कोशिश की. लेकिन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee)  ने उनकी बात को अनसुनी करते हुए कहा कि हम इसे हमेशा याद रखेंगे. हालांकि बाद में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने ममता बनर्जी से मिलकर कहा कि भले हम संसद में एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हों लेकिन हम दोस्त हैं. बता दें कि इससे पहले अधिर चौधरी ने कहा था कि हमें अनियमित योजनाओं और चिट फंड पर नकेल कसने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी सारदा चिट फंड घोटाले में उलझी हुई थीं. इस घोटाले ने लाखों लोगों की कमाई को लूटा लिहाजा उन्हें उनके पैसे वापस मिलने चाहिए. चौधरी के इस टिप्पणी के बाद बीजेपी के सांसदों ने ताली बजाना और मेज पीटना शुरू कर दिया था. 

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गौरतलब है कि सारदा चिट फंड घोटाला काफी पुराना है. इस मामले को लेकर कोलकाता पुलिस प्रमुख राजीव कुमार से पूछताछ की CBI की नाकाम कोशिश के बाद जो राजनीतिक घटनाक्रम हुए उसका संबंध दो कथित पोंजी घोटालों से है. इसकी कहानी सारदा समूह और रोज वैली समूह (Saradha chit fund case, rose valley scandal) से जुड़ा हुआ है. इसका पता वर्ष 2013 में चला था. दरअसल, इन दोनों कंपनियों ने लाखों निवेशकों से दशकों तक हजारों करोड़ रुपये वसूले और बदले में उन्हें बड़ी रकम की वापसी का वादा किया गया लेकिन जब धन लौटाने की बारी आई तो भुगतान में खामियां होने लगी, जिसका असर राजनीतिक गलियारे तक देखने को मिला. धन जमा करने वाली योजनाएं कथित तौर पर बिना किसी नियामक से मंजूरी के 2000 से पश्चिम बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में चल रही थी. लोगों के बीच यह योजना 'चिटफंड' के नाम से मशहूर थी. इस योजना के जरिए लाखों निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये जमा किए गए. इन दोनों समूहों ने इस धन का निवेश यात्रा एवं पर्यटन, रियल्टी, हाउसिंग, रिजॉर्ट और होटल, मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र में व्यापक तौर पर किया था.

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सारदा समूह 239 निजी कंपनियों का एक संघ था और ऐसा कहा जा रहा है कि अप्रैल, 2013 में डूबने से पहले इसने 17 लाख जमाकर्ताओं से 4000 करोड़ रुपये जमा किये थे. वहीं, रोज वैली के बारे में कहा जाता है कि इसने 15000 करोड़ रुपये जमा किये थे. सारदा समूह (Saradha chit fund case) से जुड़े सुदिप्तो सेन और रोज वैली (Rose Valley scandal) से जुड़े गौतम कुंडु पर आरोप है कि वह पहले पश्चिम बंगाल की वाम मोर्च सरकार के करीब थे लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे राज्य में तृणमूल कांग्रेस की जमीन मजबूत हो गई, ये दोनों समूह इस पार्टी के नजदीक आ गई. हालांकि, इन दोनों समूहों की संपत्ति 2012 के अंत में चरमरानी शुरू हो गई और भुगतान में खामियों की शिकायतें भी मिलने लगी. सारदा समूह अप्रैल 2013 में डूब गया और सुदिप्तो सेन अपने विश्वसनीय सहयोगी देबजानी मुखर्जी के साथ पश्चिम बंगाल छोड़कर फरार हो गए. इसके बाद सारदा समूह के हजारों कलेक्शन एजेंट तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय के बाहर जमा हुए और सेन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. 

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सारदा समूह के खिलाफ पहले मामला विधान नगर पुलिस आयुक्तालय में दायर किया गया जिसका नेतृत्व राजीव कुमार कर रहे थे. कुमार, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी है. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर तब सेन को 18 अप्रैल, 2013 को देबजानी के साथ कश्मीर से गिरफ्तार किया. इसके बाद राज्य सरकार ने कुमार के नेतृत्व में एक एसआईटी गठित की. एसआईटी ने तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा के तत्कालीन सांसद और पत्रकार कुणाल घोष को सारदा चिटफंड घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के मामले में गिरफ्तार किया. कांग्रेस नेता अब्दुल मनान द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका के बाद न्यायालय ने मई, 2014 में इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. तृणमूल कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं और श्रीनजॉय बोस जैसे सांसदों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया. 

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सीबीआई ने रजत मजूमदार और तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा को भी गिरफ्तार किया. भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय जो कि तब तृणमूल कांग्रेस के महासचिव थे, उनसे भी सीबीआई ने 2015 में इस भ्रष्टाचार के मामले में पूछताछ की. इसके बाद 2015 के मध्य में रोजवैली समूह के कुंडु को भी प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा दिसंबर, 2016 और जनवरी 2017 में तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल और सुदीप बंधोपाध्याय को भी रोजवैली मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. पिछले कुछ महीनों में सीबीआई ने कुछ पेंटिग जब्त किए हैं, जिसके बारे में बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बनाए गए हैं और चिटफंड मालिकों ने इन सभी को बड़ी कीमत देकर खरीदा था. 

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इस साल जनवरी में सीबीआई ने फिल्म प्रोड्यूसर श्रीकांत मोहता को भी रोजवैली चिटफंड मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया. इसके बाद दो फरवरी को सीबीआई ने दावा किया कि कुमार ‘फरार' चल रहे हैं और सारदा और रोजवैली पोंजी भ्रष्टाचार मामले में उनसे पूछताछ के लिए ‘उनकी तलाश' की जा रही है. दरअसल, सीबीआई की 40 अधिकारियों की एक टीम कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से चिटफंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ करने के लिए रविवार को उनके आवास पर गई थी लेकिन टीम को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें जीप में भरकर थाने ले जाया गया. टीम को थोड़े समय के लिए हिरासत में भी रखा गया. घटना के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार की रात साढ़े आठ बजे से धरने पर बैठी हुई हैं. इसे वह ‘संविधान बचाओ' विरोध प्रदर्शन कह रही हैं.

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