तिब्बत में दाओचेंग येडिंग एयरपोर्ट चीन के टॉप स्टील्थ (सीक्रेट) लड़ाकू विमान जे 20 (J-20)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-20 समिट के लिए चीन यात्रा से कुछ दिन पहले चीन के टॉप स्टील्थ (सीक्रेट) लड़ाकू विमान जे 20 (J-20) की तस्वीरें सामने आई हैं. रिपोर्टों के अनुसार यह तिब्बत में दाओचेंग येडिंग एयरपोर्ट पर देखा गया. यह इलाका भारत के अरुणाचल प्रदेश के पूर्व में स्थित है.
चीन ने इस खास लड़ाकू विमान को दुनिया से काफी दिनों तक छिपा कर रखा था. ये तस्वीरें ट्विटर और डिफेंस की www.abovetopsecret.com और www.alert5.com साइट्स पर दिखाई दी हैं. चीन का यह कदम भारत की उस घोषणा के बाद आया है, जिसमें भारत ने साफ कहा था कि वह अरुणाचल प्रदेश में अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती कर रहा है.
चीन ने भारत के इस कदम का विरोध किया था और भारत ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने की आजादी की बात कही थी.
उल्लेखनीय है, पीएम मोदी शनिवार को वियतनाम दौरे पर ब्रह्मोस मिसाइल पर बात करने वाले हैं. वियतनाम ने इस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है. इस मिसाइल की जमीन और समुद्र में मारक क्षमता 290 किलोमीटर की दूरी से ज्यादा है.
पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत और वियतनाम के संबंध काफी मजबूत हैं और भारत हर उस मुद्दे पर गौर करेगा, जो द्विपक्षीय वार्ता में सामने आएंगे.
जे 20 विमान की तस्वीर कपड़े (तारपेलिन) से ढकी हुई है और यह दाओचेंग येडिंग एयरपोर्ट पर है. यह एयरपोर्ट समुद्र तल से 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसीलिए यह दुनिया का सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित सिविलयन एयरपोर्ट भी है.
बताया जा रहा है कि इतनी ऊंचाई पर जे 20 फाइटर को दिखाने का मकसद यह संदेश भी देना है कि यह विमान इतनी ऊंचाई में भी कामयाबी से काम कर सकता है. अमूमन इतनी ऊंचाई पर विमान में ईंधन और गोला बारूद लेने की क्षमता में कमी आ जाती है.
चीन का चेंगदू जे 20 लड़ाकू विमान दो इंजन वाला है और इसके कुछ ऐसे फीचर हैं, जिसकी वजह से यह रेडार की पकड़ में नहीं आता है. यह खासियत इसे पुराने लड़ाकू विमानों से अलग करती है.
दिसंबर 2010 में सुपरसोनिक जे 20 लड़ाकू विमान की खबर सामने आने के बाद से इसका उत्पादन कम संख्या में शुरू किया गया था. इसे चेंगदू एयरक्राफ्ट डिजाइन इंस्टीट्यूट में तैयार किया गया है. जनवरी 2011 में इस विमान ने पहली उड़ान भरी थी. उसके बाद से इस विमान के नए मॉडल सामने आए, जिसमें और बेहतर इंजनों का प्रयोग किया गया था. भारत के पास अभी तक इस कैटेगरी का लड़ाकू विमान नहीं है.
चीन ने इस खास लड़ाकू विमान को दुनिया से काफी दिनों तक छिपा कर रखा था. ये तस्वीरें ट्विटर और डिफेंस की www.abovetopsecret.com और www.alert5.com साइट्स पर दिखाई दी हैं. चीन का यह कदम भारत की उस घोषणा के बाद आया है, जिसमें भारत ने साफ कहा था कि वह अरुणाचल प्रदेश में अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती कर रहा है.
चीन ने भारत के इस कदम का विरोध किया था और भारत ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने की आजादी की बात कही थी.
उल्लेखनीय है, पीएम मोदी शनिवार को वियतनाम दौरे पर ब्रह्मोस मिसाइल पर बात करने वाले हैं. वियतनाम ने इस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाई है. इस मिसाइल की जमीन और समुद्र में मारक क्षमता 290 किलोमीटर की दूरी से ज्यादा है.
पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत और वियतनाम के संबंध काफी मजबूत हैं और भारत हर उस मुद्दे पर गौर करेगा, जो द्विपक्षीय वार्ता में सामने आएंगे.
जे 20 विमान की तस्वीर कपड़े (तारपेलिन) से ढकी हुई है और यह दाओचेंग येडिंग एयरपोर्ट पर है. यह एयरपोर्ट समुद्र तल से 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसीलिए यह दुनिया का सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित सिविलयन एयरपोर्ट भी है.
बताया जा रहा है कि इतनी ऊंचाई पर जे 20 फाइटर को दिखाने का मकसद यह संदेश भी देना है कि यह विमान इतनी ऊंचाई में भी कामयाबी से काम कर सकता है. अमूमन इतनी ऊंचाई पर विमान में ईंधन और गोला बारूद लेने की क्षमता में कमी आ जाती है.
चीन का चेंगदू जे 20 लड़ाकू विमान दो इंजन वाला है और इसके कुछ ऐसे फीचर हैं, जिसकी वजह से यह रेडार की पकड़ में नहीं आता है. यह खासियत इसे पुराने लड़ाकू विमानों से अलग करती है.
दिसंबर 2010 में सुपरसोनिक जे 20 लड़ाकू विमान की खबर सामने आने के बाद से इसका उत्पादन कम संख्या में शुरू किया गया था. इसे चेंगदू एयरक्राफ्ट डिजाइन इंस्टीट्यूट में तैयार किया गया है. जनवरी 2011 में इस विमान ने पहली उड़ान भरी थी. उसके बाद से इस विमान के नए मॉडल सामने आए, जिसमें और बेहतर इंजनों का प्रयोग किया गया था. भारत के पास अभी तक इस कैटेगरी का लड़ाकू विमान नहीं है.
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