गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले 48 घंटे में 30 बच्चों की मौतें हुईं.(प्रतीकात्मक तस्वीर)
गोरखपुर:
मेडिकल कॉलेज में पिछले 48 घंटों में 30 बच्चों की मौत के बाद मचे हाहाकार के बीच व्यवस्था में बदइंतजामी की बात निकलकर सामने आ रही है. दरअसल गुरुवार रात से ही ऑक्सीजन की आपूर्ति में रुकावट का सिलसिला शुरू हो गया था. इन परिस्थितियों में ऐसा भी वक्त आया जब नौनिहालों के तीमारदारों के हाथ में कृत्रिम सांस के लिए एंबू बैग पकड़ा दिया गया और उन्हें लगातार दबाते रहने को कहा गया, जिससे उनके मासूम की सांस बराबर चलती रहे.
अपने नौनिहालों की अटकती सांसों के लिए परिजनों ने अपनी जान की बाजी लगा दी. वे बेचारे लगातार एंबू बैग के माध्यम से अपने बच्चों को कृत्रिम सांस उपलब्ध कराने की कोशिशों में लगे रहे. इस क्रम में कई घंटे लोगों को मशक्कत करनी पड़ी. उसके बाद शुक्रवार शाम को पूरी तरह से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति होने के बाद ही परिजनों ने राहत की सांस ली.
पढ़ें: उत्तर प्रदेश सरकार की सफाई, गोरखपुर में किसी भी रोगी की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई
ऑक्सीजन की कमी
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 30 बच्चों की दर्दनाक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जान गंवाने वाले बच्चों में नवजात शिशु भी थे. पिछले 36 से 48 घंटों के बीच हुई इन मौतों की वजह आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं बताई जा रही हो लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी कारण है. जबकि, यूपी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई. 9 तारीख की आधी रात से लेकर 10 तारीख की आधी रात को 23 मौतें हुईं जिनमें से 14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुई जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं. यह भी हैरतअंगेज है कि 10 अगस्त की रात को ऑक्सीजन की सप्लाई खतरनाक रूप से कम हो गई.
पढ़ें: सोनिया और राहुल गांधी ने बच्चों की मौत पर दुख जताया, प्रदेश सरकार पर निशाना साधा
VIDEO: अस्पताल में 30 बच्चों की मौत
अस्पताल के सूत्र कहते हैं कि ऑक्सीजन की सप्लाई में गड़बड़ी होने से बच्चों की मौत हुई है. यह अस्पताल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में आता है. पिछली 9-10 तारीख को खुद मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल का दौरा किया था. उसके बाद भी इस तरह की लापरवाही सामने आई है. इस घटना पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
अपने नौनिहालों की अटकती सांसों के लिए परिजनों ने अपनी जान की बाजी लगा दी. वे बेचारे लगातार एंबू बैग के माध्यम से अपने बच्चों को कृत्रिम सांस उपलब्ध कराने की कोशिशों में लगे रहे. इस क्रम में कई घंटे लोगों को मशक्कत करनी पड़ी. उसके बाद शुक्रवार शाम को पूरी तरह से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति होने के बाद ही परिजनों ने राहत की सांस ली.
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ऑक्सीजन की कमी
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 30 बच्चों की दर्दनाक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. जान गंवाने वाले बच्चों में नवजात शिशु भी थे. पिछले 36 से 48 घंटों के बीच हुई इन मौतों की वजह आधिकारिक तौर पर भले ही नहीं बताई जा रही हो लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी कारण है. जबकि, यूपी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई. 9 तारीख की आधी रात से लेकर 10 तारीख की आधी रात को 23 मौतें हुईं जिनमें से 14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुई जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं. यह भी हैरतअंगेज है कि 10 अगस्त की रात को ऑक्सीजन की सप्लाई खतरनाक रूप से कम हो गई.
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VIDEO: अस्पताल में 30 बच्चों की मौत
अस्पताल के सूत्र कहते हैं कि ऑक्सीजन की सप्लाई में गड़बड़ी होने से बच्चों की मौत हुई है. यह अस्पताल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में आता है. पिछली 9-10 तारीख को खुद मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल का दौरा किया था. उसके बाद भी इस तरह की लापरवाही सामने आई है. इस घटना पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
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