अपने कफ सिरप में दो कंपाउंडों के लेवल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच के दायरे में आई एक भारतीय दवा कंपनी ने आज दावा किया है कि केमिकल अनुमति सीमा के भीतर ही थे. WHO ने सोमवार को इराक में सिरप के एक बैच को चिह्नित किया था और कहा था कि इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल स्वीकार्य मात्रा से अधिक है.
चेन्नई स्थित फ़ोर्ट्स लैब ने एनडीटीवी को बताया कि सिरप केवल इराक को निर्यात किया गया था और भारत में नहीं बेचा जाता है. इसमें कहा गया है कि, एक अनुबंध के हिस्से के रूप में, उत्पाद का निर्माण जनवरी 2022 में पुडुचेरी स्थित एक कंपनी द्वारा किया गया था.
फोरर्ट्स लैब के उपाध्यक्ष बालासुरेंद्रन ने कहा, "नमूनों की हमारी जांच से पता चला है कि डायथिलीन ग्लाइकोल 0.1% की सीमा के भीतर था. आगे की जांच जारी है. यह पूरा होने के बाद हम डब्ल्यूएचओ को जवाब देंगे."
कंपनी ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के अधिकारियों ने सिरप के नमूने भी लिए हैं और रिपोर्ट का इंतजार है.
यह पूछे जाने पर कि क्या एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल की जांच के लिए तैयार उत्पाद का अनिवार्य परीक्षण किया गया था, सुरेंद्रन ने कहा, "2022 में ऐसा कोई विनियमन नहीं था, इसलिए हमने ऐसा नहीं किया. विनियमन मई 2023 में लागू किया गया था."
WHO ने सोमवार को कहा था, "इस अलर्ट में संदर्भित उत्पाद का बैच असुरक्षित है और इसके उपयोग, विशेष रूप से बच्चों में, गंभीर आघात या मौत का कारण हो सकती है."
स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि पेरासिटामोल और क्लोरफेनिरामाइन संयोजन सिरप के नमूने, जिसका उपयोग सामान्य सर्दी और एलर्जी के लक्षणों के इलाज के लिए किया जाता है, उसमें स्वीकृत 0.1% के मुकाबले 0.25% डायथिलीन ग्लाइकॉल और 2.1% एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया. यह भारतीय निर्मित सातवीं दवा है, जो पिछले साल से WHO की जांच के दायरे में आई है.
ग्लोबल फार्मा को अमेरिका में मरीजों पर प्रतिकूल प्रभाव के बाद एक तरह की आई ड्रॉप के निर्माण पर रोक का आदेश दिया गया था. हालांकि, भारतीय अधिकारियों द्वारा क्लीन चिट दे दी गई थी. आंखों को हानि पहुंचने और जीवन क्षति की शिकायतों के बाद चेन्नई में फर्म के प्लांट से आई ड्रॉप के नमूने लिए गए, लेकिन कोई दूषित चीज नहीं पाया गया.
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