संसद भवन की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
संसद की कैंटीन में मिलने वाला सब्सिडी का सस्ता खाना जल्द ही बंद किया जा सकता है। ये खाना सांसदों और संसद भवन में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को बाहर मिलने वाले खाने की तुलना में काफी कम कीमत में मिलता है।
एनडीटीवी को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर उठे विवाद के बाद सभी पार्टी के बड़े नेताओं को सलाह-मश्विरा करने की सलाह दी है।
पीएम के अनुसार अगर विपक्ष के साथ इस मुद्दे पर कोई राय बनती है तो संसद की कैंटीन के खाने में मिलने वाली सब्सिडी हटाई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी कैंटिन के खाने से सब्सिडी हटाने के लिए राज़ी हो गई है।
सांसदों की एक महीने की सैलरी 1.4 लाख़ की होने के बावजूद उन्हें संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाने बड़ी छूट मिलती है। इतना कि एक मसाला डोसा के लिए उन्हें सिर्फ़ 6 रुपये, एक प्लेट मटन के लिए 20 रुपये, वेजिटेबल स्टियू 4 रुपये, चावल 4 रुपये और मटन बिरयानी 41 रुपये की मिलती है।
आरटीआई से जानकारी
यहाँ के खाने की कीमत अंतिम बार साल 2010 में संशोधित की गई थी लेकिन पिछले महीने एक आरटीआई में सूचना मांगे जाने पर ये पता चला कि संसद की इस कैंटीन को पिछले पांच सालों में 60.7 करोड़ की सब्सिडी मिली है। इसके तुरंत बाद कई कोनों से इस सब्सिडी को हटाए जाने की मांग तेज़ होने लगी है। सिविल सोसायटी और राजनेताओं के एक वर्ग ने इसे अवांछित विशेषाधिकार बताते हुए इसे जल्द से जल्द हटाए जाने की मांग की।
ये मांग तब और तेज़ हो गई जब पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की, अगर उनके बस में हो तो वे गैस सब्सिडी छोड़ दें।
पिछले हफ़्ते ही बीजेडी सांसद जय पांडा ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर कहा कि, 'जनता का सांसदों के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए ज़रुरी है कि इस सब्सिडी को हटा लिया जाए।'
जय पांडा ने अपने पत्र में लिखा, 'पीएम मोदी के आग्रह पर जिस तरह से लोगों ने आगे बढ़कर कुकिंग गैस छोड़ने की पहल की है वो स्वागत योग्य है, इसी तर्क के अंतर्गत मुझे लगता है कि हम सांसदों को भी अपनी फूड सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए।'
फूड कमिटी ने दिए आंकड़े
संसद का मॉनसून सत्र शुरु होने से पहले हुए सर्वदलीय बैठक में, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा था कि, 'इस कैंटीन का फायदा सिर्फ़ सांसद नहीं लेते। इसका फायदा मीडिया, संसद में आने वाले मेहमान और संसद भवन के स्टाफ भी लेते हैं। ऐसे में ये ज़रुरी है कि ऐसे किसी निर्णय तक पहुंचने से पहले इससे प्रभावित होने वाले सभी पक्षों की राय जानी जाए।'
इस बीच संसद की फूड कमिटी ने इस साल संसद की कैंटीन के इस्तेमाल से संबंधित आंकड़े जारी किए हैं, इन आंकड़ों के मुताबिक बजट सत्र के दौरान संसद की कैंटीन का इस्तेमाल करने वाले लोगों का प्रतिशत इस तरह से रहा , सांसद 9%, मीडिया 9%, स्टाफ 25%, कमिटी मीटिंग्स 42% और बाकी बचा प्रतिशत संसद एनेक्सी।
जबकि बजट और मॉनसून सत्र के बीच में इंटर सेशन के दौरान कैंटीन का इस्तेमाल का प्रतिशत कुछ ऐसा रहा, सांसद 3%, मीडिया 9%, स्टाफ 25%, कमिटी मीटिंग्स 42% और संसद एनेक्सी।
एनडीटीवी को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर उठे विवाद के बाद सभी पार्टी के बड़े नेताओं को सलाह-मश्विरा करने की सलाह दी है।
पीएम के अनुसार अगर विपक्ष के साथ इस मुद्दे पर कोई राय बनती है तो संसद की कैंटीन के खाने में मिलने वाली सब्सिडी हटाई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी कैंटिन के खाने से सब्सिडी हटाने के लिए राज़ी हो गई है।
सांसदों की एक महीने की सैलरी 1.4 लाख़ की होने के बावजूद उन्हें संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाने बड़ी छूट मिलती है। इतना कि एक मसाला डोसा के लिए उन्हें सिर्फ़ 6 रुपये, एक प्लेट मटन के लिए 20 रुपये, वेजिटेबल स्टियू 4 रुपये, चावल 4 रुपये और मटन बिरयानी 41 रुपये की मिलती है।
आरटीआई से जानकारी
यहाँ के खाने की कीमत अंतिम बार साल 2010 में संशोधित की गई थी लेकिन पिछले महीने एक आरटीआई में सूचना मांगे जाने पर ये पता चला कि संसद की इस कैंटीन को पिछले पांच सालों में 60.7 करोड़ की सब्सिडी मिली है। इसके तुरंत बाद कई कोनों से इस सब्सिडी को हटाए जाने की मांग तेज़ होने लगी है। सिविल सोसायटी और राजनेताओं के एक वर्ग ने इसे अवांछित विशेषाधिकार बताते हुए इसे जल्द से जल्द हटाए जाने की मांग की।
ये मांग तब और तेज़ हो गई जब पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की, अगर उनके बस में हो तो वे गैस सब्सिडी छोड़ दें।
पिछले हफ़्ते ही बीजेडी सांसद जय पांडा ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को एक पत्र लिखकर कहा कि, 'जनता का सांसदों के प्रति विश्वास बढ़ाने के लिए ज़रुरी है कि इस सब्सिडी को हटा लिया जाए।'
जय पांडा ने अपने पत्र में लिखा, 'पीएम मोदी के आग्रह पर जिस तरह से लोगों ने आगे बढ़कर कुकिंग गैस छोड़ने की पहल की है वो स्वागत योग्य है, इसी तर्क के अंतर्गत मुझे लगता है कि हम सांसदों को भी अपनी फूड सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए।'
फूड कमिटी ने दिए आंकड़े
संसद का मॉनसून सत्र शुरु होने से पहले हुए सर्वदलीय बैठक में, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा था कि, 'इस कैंटीन का फायदा सिर्फ़ सांसद नहीं लेते। इसका फायदा मीडिया, संसद में आने वाले मेहमान और संसद भवन के स्टाफ भी लेते हैं। ऐसे में ये ज़रुरी है कि ऐसे किसी निर्णय तक पहुंचने से पहले इससे प्रभावित होने वाले सभी पक्षों की राय जानी जाए।'
इस बीच संसद की फूड कमिटी ने इस साल संसद की कैंटीन के इस्तेमाल से संबंधित आंकड़े जारी किए हैं, इन आंकड़ों के मुताबिक बजट सत्र के दौरान संसद की कैंटीन का इस्तेमाल करने वाले लोगों का प्रतिशत इस तरह से रहा , सांसद 9%, मीडिया 9%, स्टाफ 25%, कमिटी मीटिंग्स 42% और बाकी बचा प्रतिशत संसद एनेक्सी।
जबकि बजट और मॉनसून सत्र के बीच में इंटर सेशन के दौरान कैंटीन का इस्तेमाल का प्रतिशत कुछ ऐसा रहा, सांसद 3%, मीडिया 9%, स्टाफ 25%, कमिटी मीटिंग्स 42% और संसद एनेक्सी।
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