केंद्र सरकार ने चंद्रयान 2 (Chandryaan 2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) की चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग के कारणों की जानकारी दी. लोकसभा (Lok Sabha) में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh), जो अंतरिक्ष विभाग को देखते हैं ने कहा कि डिसेंट के दौरान विक्रम लैंडर के वेग में कमी तय मापदंडों से अधिक थी और इस वजह से उसकी हार्ड लैंडिंग हुई.
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उन्होंने कहा, "चांद की सतह से 30 किलोमीटर से 7.4 किलोमीटर की दूरी के बीच डिसेंट का पहला फेज किया गया था. इस दौरान वेग 1,683 मीटर प्रति सेकंड से घटाकर 146 मीटर प्रति सेकेंड कर दिया गया था. इसके बाद डिसेंट के दूसरे फेज में वेग में कमी डिजाइन किए गए मूल्य से ज्यादा थी. इस वजह से दूसरे फेज के शुरुआती चरण की परिस्थिति, डिजाइन किए गए मापदंडों से अलग थी. इस कारण तय लैंडिंग साइट के 500 मीटर के दायरे में विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई."
जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, "इसके बावजूद भी चंद्रयान 2 का लॉन्च, ऑर्बिटल क्रिटिकल मनुवर, लैंडर सेपरेशन, डी बूस्ट और रफ ब्रेकिंग फेज को सफलतापूर्वक पूरा किया गया. वैज्ञानिक उद्देश्यों के संबंध में, ऑर्बिटर के सभी आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण डिजाइन के अनुसार अपना काम कर रहे हैं और मूल्यवान वैज्ञानिक डाटा प्रदान कर रहे हैं. वैज्ञानिकों के सटीक प्रक्षेपण और ऑर्बिटर मनुवर के कारण ऑर्बिटर का मिशन सात साल तक बढ़ा दिया गया है."
उन्होंने कहा, "ऑर्बिटर से मिलने वाला डाटा लगातार वैज्ञानिक समुदाय को प्रदान किया जा रहा है. हाल ही में इस डाटा की समीक्षा नई दिल्ली में आयोजित एक अखिल भारतीय उपयोगकर्ता की बैठक में की गई थी."
आपको बता दें, चंद्रयान -2, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल हैं को 22 जुलाई को GSLV MK III-M1 मिशन में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. इसके बाद चंद्रयान 2 को सफलतापूर्वक 20 अगस्त को चंद्र की कक्षा में डाला गया था, जिसके बाद 2 सितंबर 2019 को ऑर्बिटर से लैंडर 'विक्रम' को अलग कर दिया गया था. दो सफल डी-ऑर्बिटिंग मनुवर के बाद 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की गई, जो विफल साबित हुई.
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