चंडीगढ़ के एक शख्स द्वारा अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए खुद से सबूत खोजने का मामला सामने आया है. सवाल उठता है कि जब आपकी बेटी के साथ यौन-उत्पीड़न करने वाला फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर सिर्फ इसलिए जमानत पा जाए की घटना के समय वह नाबालिग था तो आप क्या करेंगे? कुछ इसी तरह के सवाल का सामना पिछले साल सितंबर में एक पिता को करना पड़ा.
चंडीगढ़ की एक जानी मानी टेनिस एकेडमी में जूनियर डेविस कप खिलाड़ी समेत पांच संदिग्धों पर ट्रेनी से यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. पीड़िता के पिता को उम्मीद थी कि कोर्ट से उन्हें जल्द न्याय मिल जाएगा.
हालांकि, यह इतना आसान नहीं था. कोर्ट में जन्म प्रमाण पत्र पेश हुए. जमानत मिल गई. हालांकि लड़की के पिता को यकीन नहीं हुआ. उन्होंने फैसला किया कि इतनी आसानी से उन्हें नहीं छोड़ेगे.
पीड़िता के पिता ने कहा, "सुनवाई के दौरान, चंडीगढ़ पुलिस ने आरोपी का जो जन्मप्रमाण पत्र दिया वो उसे नाबालिग साबित कर रहा था. मैं इससे सहमत नहीं था. मैं जूनियर डेविस कप खिलाड़ी समेत तीन आरोपियों के पैतृक गांव गया ताकि उनके असली जन्म प्रमाण पत्र को खोजा जा सके." एनडीटीवी पीड़िता की पहचान की गोपनीय रखने के लिए पिता और टेनिस एकेडमी का नाम नहीं ले रहा है.
अगले कुछ महीनों बाद वह रोहतक, पलवल और हिसार के सरकारी स्कूल गए, जहां आरोपियों ने अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी और उनके असली जन्म प्रमाण पत्र को खोज निकाला. पिता की ओर से रखे गए तीनों आरोपियों के जन्म प्रमाण पत्र से यह साबित हो रहा था कि वे नाबालिग नहीं हैं.
उन्होंने इन दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया और इसकी जांच करने और आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग की. कोर्ट ने पिता की ओर से पेश दस्तावेजों की पड़ताल के करने के पुलिस को निर्देश दिए.
नवंबर में चंडीगढ़ पुलिस ने पाया कि पिता की ओर से पेश दस्तावेज सही हैं. महिला के पिता के लिए यह काफी नहीं था. उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समक्ष शिकायत की. उनकी ओर से किया गया दावा सही पाया गया और स्वास्थ्य विभाग ने एक आरोपी का जन्म पंजीकरण प्रमाण पत्र रद्द कर दिया. यही नहीं आरोपी के पिता और दो अन्य लोगों पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में मामला दर्ज हुआ.
महिला के पिता ने कहा, शिकायत निवारण विभाग में दो अन्य संदिग्धों के खिलाफ जांच अभी चल रही है. उन्होंने कहा, "अब, एक आरोपी को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है, मुझे उम्मीद है कि बाकी आरोपियों के साथ भी यही होगा."
कोरोनावायरस के कारण अदालत की सुनवाई प्रभावित चल रही है, इस बीच, पीड़िता के पिता ने ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन को भी पत्र लिखा लेकिन उनका दावा है कि वहां से कोई जवाब नहीं मिला है.
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