भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सुभाष चन्द्र बोस को लेकर चिंतित थे कि वो कहां हैं? क्या उनकी वाकई ही 18 अगस्त 1945 को हुए विमान हादसे में मौत हो गयी थी? या फिर वो ज़िंदा थे? सच की तह तक पहुंचने के लिए नेहरू ने नेताजी के परिवार पर जासूसी करवाई थी।
गृह मंत्रालय का कहना है, 'ये सभी आरोप जल्द साबित हो सकते हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने जो कमेटी गठन की है वो इन सभी बातों को और नेताजी से जुड़े और मसलों को जनता के सामने लाएगी।'
एक सीनियर अफसर ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'हमने नेताजी से जुड़ी फाइल्स का अधयन करने का राजनैतिक फैसला ले लिया है। जल्द ही सच सबके सामने आएगा।' एक आधिकारिक सूत्र का कहना है, 'ये कमेटी अन्तर मंत्रालयी होगी और इसकी अध्यक्षता कैबिनेट सचिव अजित सेठ करेंगे। इसमें गृह मंत्रालय, आईबी, रॉ और प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े अधिकारी भी होंगे।'
आधिकारिक सूत्रों ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'जो फाइलें गृह मंत्रालय के पास थीं उनमें ये साफ़ लिखा हुआ था कि नेहरू ने नेताजी के परिवार वालों की जासूसी करवाई थी। यही नहीं फाइलों में कुछ खुफिया विभाग की नोटिंग्स भी थीं।'
नेताजी के पौत्र सूर्य कुमार बोस ने जर्मनी में बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दावा किया कि नेताजी से जुड़ी सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की उनकी मांग पर मोदी ने विचार करने का आश्वासन दिया है।
सूर्य ने मोदी के सम्मान में जर्मनी में भारतीय राजदूत विजय गोखले की ओर से आयोजित समारोह में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान सूर्य ने नेताजी से संबंधित सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की। सूर्य ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि दस्तावेजों को जल्द सार्वजनिक किया जाए क्योंकि वह हालिया खबरों से स्तब्ध हैं कि जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने नेताजी के परिवार की ‘जासूसी' कराई थी।
मोदी के जवाब के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने कहा कि मामले को वह ठीक से देखेंगे क्योंकि उन्हें भी लगता है कि सच सामने आना चाहिए।' सूर्य ने कहा कि सच सामने आना चाहिए और इसको लेकर एक जांच आयोग का गठन होना चाहिए।
ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट को लेकर गुरुवार को कैबिनेट सचिव एक मीटिंग भी करने जा रहे हैं जहां नेताजी की फाइलों पर भी चर्चा की जाएगी।
क्या है ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट?
यह एक्ट ब्रिटिश काल से चला आ रहा है। एक्ट में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी एक्शन जो देश के दुश्मनों को मदद दे, इस एक्ट के दायरे में आता है। इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी सरकार की ओर से प्रतिबंधित क्षेत्र, कागजात आदि को नहीं देख सकता और ना ही देखने की मांग कर सकता है।
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