अपने कैबिनेट के सहयोंगियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बंबई और मद्रास हाई कोर्ट के नामों में बदलाव के एक प्रस्ताव को मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद के एक अधिनियम के माध्यम से दोनों हाई कोर्टों के नाम उनके शहरों मुंबई और चेन्नई के मौजूदा नामों पर करने के लिए कानून मंत्रालय के एक प्रस्ताव को मंजूर कर लिया।
1990 के दशक में दोनों महानगरों के नाम बदलने के बाद हाई कोर्टों के नाम मुंबई हाई कोर्ट और चेन्नई हाई कोर्ट करने की मांगें उठ रहीं हैं।
कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के तहत 1860 के दशक में स्थापित दोनों हाई कोर्टों के नाम बदलने के लिए ‘उच्च न्यायालय (नाम संशोधन) विधेयक, 2016’ लाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन फिलहाल कोई केंद्रीय कानून नहीं है जिसके तहत इन हाई कोर्टों के नामों में बदलाव के प्रस्ताव पर ध्यान दिया जा सके।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बताया था कि कलकत्ता हाई कोर्ट का नाम भी बदलकर कोलकाता हाई कोर्ट किया जाएगा। लेकिन बाद में जारी एक सरकारी विज्ञप्ति में केवल मद्रास और बंबई हाई कोर्ट का उल्लेख था।
कलकत्ता हाई कोर्ट का नाम भी कोलकाता हाई कोर्ट करने की मांगें रहीं हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट को प्रथम उच्च न्यायालय होने का गौरव प्राप्त है।
सूत्रों ने कहा कि पहले सरकार ने राष्ट्रपति को किसी उच्च न्यायालय का नाम उस राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करके बदलने का अधिकार देने की योजना बनाई थी। बाद में इस विचार को छोड़ दिया गया। सरकार ने अब मामला-दर-मामला आधार पर नाम बदलने की ऐसी मांगों पर विचार करने की योजना बनाई है।
साल 1861 के ‘भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम’ ने इंग्लैंड की महारानी को कलकत्ता, मद्रास और बंबई के उच्च न्यायालय स्थापित करने के लेटर्स पेटेंट जारी करने के अधिकार दिए थे।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
1990 के दशक में दोनों महानगरों के नाम बदलने के बाद हाई कोर्टों के नाम मुंबई हाई कोर्ट और चेन्नई हाई कोर्ट करने की मांगें उठ रहीं हैं।
कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के तहत 1860 के दशक में स्थापित दोनों हाई कोर्टों के नाम बदलने के लिए ‘उच्च न्यायालय (नाम संशोधन) विधेयक, 2016’ लाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन फिलहाल कोई केंद्रीय कानून नहीं है जिसके तहत इन हाई कोर्टों के नामों में बदलाव के प्रस्ताव पर ध्यान दिया जा सके।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों पर संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बताया था कि कलकत्ता हाई कोर्ट का नाम भी बदलकर कोलकाता हाई कोर्ट किया जाएगा। लेकिन बाद में जारी एक सरकारी विज्ञप्ति में केवल मद्रास और बंबई हाई कोर्ट का उल्लेख था।
कलकत्ता हाई कोर्ट का नाम भी कोलकाता हाई कोर्ट करने की मांगें रहीं हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट को प्रथम उच्च न्यायालय होने का गौरव प्राप्त है।
सूत्रों ने कहा कि पहले सरकार ने राष्ट्रपति को किसी उच्च न्यायालय का नाम उस राज्य के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करके बदलने का अधिकार देने की योजना बनाई थी। बाद में इस विचार को छोड़ दिया गया। सरकार ने अब मामला-दर-मामला आधार पर नाम बदलने की ऐसी मांगों पर विचार करने की योजना बनाई है।
साल 1861 के ‘भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम’ ने इंग्लैंड की महारानी को कलकत्ता, मद्रास और बंबई के उच्च न्यायालय स्थापित करने के लेटर्स पेटेंट जारी करने के अधिकार दिए थे।
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