Coronavirus Pandemic: केंद्र सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा (Affidavit) दायर कर कहा है कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों (Doctors and Health workers) की क्वारंटाइन अवधि (quarantine period) को ड्यूटी पर माना जाएगा छुट्टी पर नहीं. केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि इस संबंध में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र भेजकर सूचित किया गया है.सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा. गौरतलब है कि 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और कर्नाटक में कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ को समय पर वेतन मिले. इन राज्यों पर आरोप है कि ये डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ को वक्त पर वेतन नहीं दे रहे हैं.
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जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से कहा था कि ऐसा कतई नहीं है कि सरकार नि:सहाय है. हमारे 17 जून के आदेश को पढ़ा जाना चाहिए और उसका अनुपालन किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उसे अधिकार मिला हुआ है. इस दौरान पीठ को जानकारी दी गई कि ड्यूटी करने के बाद आवश्यक रूप से डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ को क्वारंटीन में भेजा जाता है, लेकिन कई जगहों पर क्वारंटीन अवधि का वेतन काटा जा रहा है.
इस पर पीठ ने मेहता से पूछा कि आखिर यह माजरा क्या है? ऐसा क्यों हो रहा है? इसके जवाब में मेहता ने कहा, वह इस मसले को देखेंगे और यह प्रयास करेंगे कि क्वारंटाइन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा माना जाए. यूनाइटेड रेसीडेंट एंड डॉक्टर एसोसिएशन (यूआरडीए) ने याचिका दायर कर कहा था कि कई राज डॉक्टरों को वेतन नहीं दे रहे हैं. वहीं मुख्य याचिकाकर्ता डॉक्टर आरुषि जैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा, अदालती आदेश के बावजूद कई जगहों पर डॉक्टरों को नियमित रूप से वेतन नहीं दिया जा रहा है.
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