कंप्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि कंप्यूटर और फोन पर मेल, मैसेज, डेटा इंटरसेप्ट करने के लिए एजेंसियों को कोई पूरी तरह से इजाजत नहीं है . नया कदम अवैध निगरानी को प्रतिबंधित करता है. सरकार ने मेल, सोशल मीडिया मैसेज, डाटा की निगरानी पर 20 दिसंबर की अधिसूचना को सही ठहराया है. गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए हलफनामें में कहा गया है कि नई अधिसूचना अवैध निगरानी को प्रतिबंधित करती है. इसने उन एजेंसियों की पहचान करके अस्पष्टता को हटा दिया है जो इंटरसेप्ट कर सकती हैं. सरकार का कहना है कि आधुनिक तकनीक के मद्देनजर आईटी अधिनियम के तहत शक्तियां आवश्यक हैं. निजता के अधिकार की रक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा कानून मौजूद हैं. इसके चलते अपराधों का पता लगाया जा सकेगा. कई याचिकाओं में निगरानी पर नई अधिसूचना को चुनौती दी गई है. पीआईएल में दावा किया गया है कि नया आदेश निजता का उल्लंघन करता है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार सीबीआई समेत 10 एजेंसियों को सौंपने के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए नोटिस जारी कर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के लिए सीबीआई और दूसरी एजेंसियों को अधिकार देने वाले गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर करके चुनौती दी गयी है.
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