क्या मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का बिल आज से शुरू होने जा रहे संसद के विशेष सत्र में पेश होगा...? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि सूत्रों के मुताबिक, रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में मोदी सरकार ने जिन आठ बिलों की सूची विपक्ष को दी, उनमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का बिल नहीं था. बाद में मीडिया से बातचीत में भी संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस बिल का नाम नहीं लिया. सूत्रों की मानें तो सरकार इन विवादास्पद विधेयक में संशोधन पर विचार कर रही है.
"जो बताना था बता दिया"
सूत्र ने बताया कि ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का बिल इस बार सदन के पटल पर न रखा जाए. दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से जब इस बिल के बारे में सवाल किया गया, तब उन्होंने यही कहा- "जो बताना था बता दिया". ऐसा कहा जा रहा था कि सरकार इसमें संशोधन पर विचार कर रही है.
दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जज से घटा कर कैबिनेट सचिव के बराबर...
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जज का दर्जा न देने का विरोध हो रहा है. बिल में इनका दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जज से घटा कर कैबिनेट सचिव के बराबर करने का प्रस्ताव है, जिसका विपक्ष ने रविवार कोई हुई सर्वदलीय बैठक में भी विरोध किया.
...और विवरण का कागज फाड़ दिया
सर्वदलीय बैठक में डीएमके सांसद तिरुची शिवा ने ध्वजारोहण कार्यक्रम का विवरण केवल हिन्दी में होने का विरोध जताया. उन्होंने सर्वदलीय बैठक में इस विवरण का कागज फाड़ दिया. हालांकि, इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आश्वस्त किया कि आगे से इस बात का ध्यान रखा जाएगा.
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