क्या निजता के उल्लंघन का आरोप जमानत का आधार हो सकता है? कोर्ट ने सस्पेंड आईएएस अधिकारी से पूछा

झारखंड कैडर की निलंबित अधिकारी पूजा सिंघल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जब वह रांची के एक अस्पताल में इलाज करा रही थीं, तब उनके कमरे की तस्वीरें लीक होने से उनकी निजता का उल्लंघन हुआ था

क्या निजता के उल्लंघन का आरोप जमानत का आधार हो सकता है? कोर्ट ने सस्पेंड आईएएस अधिकारी से पूछा

झारखंड कैडर की निलंबित अधिकारी पूजा सिंघल.

नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने धन शोधन मामले में आरोपी एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के झारखंड कैडर की निलंबित अधिकारी पूजा सिंघल से सोमवार को पूछा कि क्या उनकी निजता के उल्लंघन का आरोप उन्हें जमानत देने का आधार हो सकता है. सिंघल की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ को बताया कि जब वह रांची के एक अस्पताल में इलाज करा रही थीं, तब उनके कमरे की तस्वीरें लीक होने से उनकी निजता का उल्लंघन हुआ था.

लूथरा ने कहा, 'मेरी मुवक्किल 200 दिनों से अधिक समय से हिरासत में है और वह न्यायिक हिरासत में है. उसे किसी बीमारी के कारण अस्पताल ले जाया गया था और जब वह अपने परिवार के सदस्यों से मिल रही थी, तब तस्वीरें ली गईं और मीडिया में लीक कर दी गईं. एक अखबार ने इसे प्रकाशित किया. यह उनकी निजता का उल्लंघन है.'

न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि सिंघल पर लगाए गए आरोप 'बहुत गंभीर' हैं और अदालत इस स्तर पर उन्हें जमानत देने पर विचार नहीं कर सकती है.

इसके बाद लूथरा ने कुछ दस्तावेज और तस्वीरें सौंपी, जो कथित तौर पर मीडिया में लीक हो गई थीं. उन्होंने कहा कि सिंघल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज एक मामले में हिरासत में हैं और धन शोधन निवारण एजेंसी ही बता सकती है कि तस्वीरें कैसे लीक हुईं.

न्यायमूर्ति धूलिया ने लूथरा से सवाल किया, 'आपका आधार यह है कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए सिंघल की निजता का उल्लंघन हुआ था, लेकिन क्या यह उन्हें जमानत का हकदार बनाता है?'

इस पर लूथरा ने कहा कि जमानत देने के अन्य आधार भी हैं और वह केवल निजता के उल्लंघन की हालिया घटना को अदालत के संज्ञान में लाने की कोशिश कर रहे हैं.

ईडी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने जोर देकर कहा कि निजता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और संबंधित तस्वीरें सीसीटीवी फुटेज से ली गई हैं, जिनमें सिंघल को अस्पताल के गलियारे में घूमते देखा जा सकता है.

उन्होंने कहा, 'सिंघल का इतना दबदबा है कि वह परिवार के सदस्यों से जब चाहे तब मिलती हैं और गलियारे में घूमती हैं.'

इसके बाद पीठ ने हुसैन से कहा कि वह अदालत को उन गवाहों की संख्या के बारे में बताएं, जिनसे पूछताछ की गई है और जिनसे अभी भी पूछताछ की जानी है. हुसैन ने अदालत को बताया कि चार गवाहों से पूछताछ की जा चुकी है और 19 से पूछताछ बाकी है. मामले में कुल 33 गवाह हैं.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख तय की. उसने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और हुसैन से प्रमुख गवाहों की सूची उपलब्ध कराने को कहा.

राजू ने कहा कि ईडी सिंघल की याचिका पर जवाब दाखिल करना चाहेगी. उन्होंने दावा किया कि सिंघल के मेडिकल रिकॉर्ड, जो याचिका के साथ संलग्न किए गए हैं, पढ़ने योग्य नहीं हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने की आवश्यकता है.

शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को सिंघल को दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी, ताकि वह अपनी बीमार बेटी की देखभाल कर सकें.

ईडी ने धन शोधन से जुड़े मामले की जांच के सिलसिले में सिंघल से जुड़े परिसरों पर 11 मई 2022 छापे मारे थे, जिसके बाद से वह हिरासत में हैं. यह मामला ग्रामीण रोजगार के लिए केंद्र की मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है.

ईडी ने झारखंड के खनन विभाग की पूर्व सचिव सिंघल पर धन शोधन का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी टीम ने दो अलग-अलग जांच के हिस्से के रूप में कथित अवैध खनन से जुड़ी 36 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की है.

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सिंघल के अलावा ईडी ने उनके व्यवसायी पति, दंपति से जुड़े एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और अन्य के खिलाफ भी धन शोधन जांच के तहत छापा मारा था. गिरफ्तारी के बाद सिंघल को निलंबित कर दिया गया था.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)