स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने नई नीति को स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में उपलब्धि माना है (फाइल फोटो)
नई स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दिए जाने को रेखांकित करते हुए सरकार ने कहा है कि इसमें स्वास्थ्य खर्च को वक्त रहते जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने और सार्वजनिक अस्पतालों में नि:शुल्क दवाएं तथा जरूरी स्वास्थ्य देखभाल करने पर जोर दिया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 पर लोकसभा में दिये गए अपने बयान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है जो देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह नीति बदलते सामाजिक आर्थिक, प्रौद्योगिकी और महामारी विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है.
नड्डा ने कहा है कि नई नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए रूग्णता देखभाल के बजाए आरोग्यता केंद्रित करने पर जोर दिया गया है. मंत्री ने बताया कि इसमें जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 करने, 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता और इसके रूझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष सूचकांक की नियमित निगरानी शामिल है. इसके साथ ही साल 2025 तक पांच साल से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना, नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चे की दर को 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है.
नड्डा ने बताया कि इसमें साल 2018 तक कुष्ठ रोग, वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करने की बात कही गई है. इसके साथ ही क्षय रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक की इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है ताकि वर्ष 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति को प्राप्त किया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नड्डा ने कहा है कि नई नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए रूग्णता देखभाल के बजाए आरोग्यता केंद्रित करने पर जोर दिया गया है. मंत्री ने बताया कि इसमें जन्म से संबंधित जीवन प्रत्याशा को 67.5 से बढ़ाकर साल 2025 तक 70 करने, 2022 तक प्रमुख रोगों की व्याप्तता और इसके रूझान को मापने के लिए अशक्तता समायोजित आयु वर्ष सूचकांक की नियमित निगरानी शामिल है. इसके साथ ही साल 2025 तक पांच साल से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना, नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चे की दर को 2025 तक घटाकर ‘एक अंक’ में लाना है.
नड्डा ने बताया कि इसमें साल 2018 तक कुष्ठ रोग, वर्ष 2017 तक कालाजार और वर्ष 2017 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करने की बात कही गई है. इसके साथ ही क्षय रोगियों में 85 प्रतिशत से अधिक की इलाज दर प्राप्त करने पर जोर दिया गया है ताकि वर्ष 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति को प्राप्त किया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कहा ‘नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है.'
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जे पी नड्डा, JP Nadda, स्वास्थ्य नीति, Health Policy, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, Primary Health Centre