बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती इन दिनों हरियाणा में विधानसभा चुनाव का प्रचार कर रही हैं.मंगलवार को उन्होंने यमुनानगर में एक रैली को संबोधित किया. वहां उन्होंने लोगों से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बसपा के उम्मीदवारों को जिताने की अपील की.यह चुनाव बसपा इनेलो के साथ मिलकर लड़ रही है.रैली को इनेलो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह बड़शामी ने संबोधित किया. इस दौरान वो बार-बार दलित शब्द कह रहे थे. इससे मायावती नाराज हो गईं.उन्होंने कहा कि उन्हें संविधान पढ़ने की जरूरत है.उन्हें यह जानना चाहिए कि दलितों के लिए संविधान में क्या शब्द लिखा गया है.
किस बात से नाराज हुईं मायावती
मायावती की यह रैली यमुनानगर की छछरौली अनाज मंडी में आयोजित की गई थी.इसमें इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला को भी आना था, लेकिन उनका जहाज तकनीकी खराबी के कारण उड़ान नहीं भर सका. इस वजह से वो रैली में शामिल नहीं हो सके.उनकी जगह पूर्व स्टेट अध्यक्ष शेर सिंह बडशामी ने रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जब हरियाणा में इनेलो की सरकार थी और प्रदेश के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला थे तो उन्होंने दलितों के विकास के लिए कई काम किए.
ब़डशामी के भाषण के दौरान मंच पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती भी मौजूद थीं. बडशामी की ओर से बार-बार दलित शब्द का प्रयोग करने पर मायावती भड़क गईं. उन्होंने अपने भाषण में बडशामी को कहा कि आपको डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के लिखित संविधान का ज्ञान है. लेकिन आपको यह नहीं पता है कि बार-बार दलित शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि संविधान में इसके लिए अनुसूचित जाति और जनजाति शब्दों का प्रयोग किया गया है. किसी भी जाति के लिए बार-बार ऐसे शब्दों का प्रयोग उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि आपको इसका भी ज्ञान लेना चाहिए और संविधान को जरूर पढ़ना चाहिए.इस दौरान उन्होंने रैली में आए लोगों से इनेलो और बसपा गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने की अपील की.
बसपा और इनलो का गठबंधन
अपने भाषण में मायावती ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा.उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से दलित विरोधी, अल्पसंख्यक विरोधी, मुस्लिम विरोधी और आरक्षण विरोधी रही है.
हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में इनेलो 53 और बसपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. बसपा और इनलो ने तीसरी बार गठबंधन किया है.दोनों दल सबसे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान साथ आए थे. इस चुनाव में बसपा ने एक और इनेलो ने चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी.इसके बाद 2018 का विधानसभा चुनाव इनेलो और बसपा ने मिलकर लड़ा था.
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