
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
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संधि के तहत सिंधु व उसकी पांच सहायक नदियों के पानी का बंटवारा किया गया है
भारत ने फिलहाल सिंधु समझौते को रद्द करने की अटकलों को तो शांत कर दिया है
पाकिस्तान एक दो बार अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी जा चुका है
बैठक में पीएम के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव ए जयशंकर, दो प्रिंसिपल सेक्रेटरी, जल संसाधन सचिव भी मौजूद थे.
सूत्रों के मुताबिक भारत ने सिंधु समझौते को रद्द करने की अटकलों को तो शांत कर दिया है लेकिन आक्रामक रुख़ अपनाते हुए पाकिस्तान तक पानी की आपूर्ति करने वाली छह में से तीन नदियों के ज्यादा बड़े इस्तेमाल की योजना बनाई है.
यह समीक्षा बैठक 18 भारतीय सैनिकों की जान लेने वाले उरी आतंकी हमले का पाकिस्तान को मुनासिब जवाब देने के विकल्पों पर विचार के सिलसिले में बुलाई गई.
सिंधु संधि के तहत सिंधु और उसकी पांच सहायक नदियों के पानी का बंटवारा किया गया है. इनमें से झेलम, चिनाब और राबी नदियों का 80 फ़ीसदी पानी पाकिस्तान को मिलता है और इसी से वहां के एक बड़े इलाक़े में पानी की ज़रूरत पूरी की जाती है. ('असंवैधानिक' होने के बावजूद रद्द नहीं हो सकती सिंधु जलसंधि)
भारत में यह मांग लगातार बढ़ रही है कि आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए भारत सिंधु नदी के पानी के बंटवारे से जुड़े इस समझौते को तोड़ दे. इस समझौते के तहत छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया था. पाकिस्तान की यह शिकायत रही है कि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा और इसके लिए वह एक दो बार अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी जा चुका है.
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