श्री श्री रविशंकर की संस्था ने पिछले साल यमुना के तट पर भव्य आयोजन किया था
नई दिल्ली:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने गुरुवार को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर को फटकार लगाई और पूछा कि क्या उनकी किसी तरह की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती. कोर्ट ने यह भी कहा कि क्या वह जो मन में आया कह सकते हैं. कोर्ट ने यह बात रविशंकर द्वारा पिछले साल यमुना तट पर आयोजित किए गए 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल' के संदर्भ में कही है. रविशंकर ने एक दिन पहले कहा था कि अगर यमुना इतनी ही नाज़ुक थी तो कोर्ट और सरकार को उन्हें यहां कार्यक्रम करने की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए थी.
अब इस पूरे मामले में बीजेपी की ओर से भी बयान आने लग गए हैं. बीजेपी के नेता महेश गिरी ने ट्वीट करके एनजीटी के इस बयान पर अफसोस जताया. गिरी ने ट्वीट किया कि - आर्ट ऑफ लिविंग के बारे में एनजीटी की यह बयान हैरान करने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण है. श्री श्री के सानिध्य में आर्ट ऑफ लिविंग ने कई नदियों को पुनिर्जीवित किया है. दुनिया भर में अपने सेवा भाव के लिए पहचाने जाने वाली इस संस्था के खिलाफ कोर्ट का यह बयान पक्षपातपूर्ण है.
उधर दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा ने भी कोर्ट के इस बयान पर अपनी राय रखी. तेजिंदर ने अपने ट्वीट में लिखा - जिन श्री श्री रविशंकर जी ने अपना जीवन समाज,प्रकृति और 27 नदियो को पुर्नजीवित करने में लगा दिया NGT का उनपर ब्यान बेहद खेदजनक और चौंकानेवाला है.
उधर आर्ट ऑफ लिविंग के प्रवक्ता ने कोर्ट की इस टिप्पणी पर कहा है कि वह इससे सहमत नहीं हैं. प्रवक्ता ने कहा कि अदालत का असल आंकलन अंतिम आदेश में सामने आएगा. अगली सुनवाई सात मई को होगी.
गौरतलब है कि पिछले साल यमुना के किनारे हुए वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल का पर्यावरणविदों ने विरोध किया था. लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था कि अब कार्यक्रम को रद्द करने के लिए बहुत देर हो चुकी है. इसके साथ ही कोर्ट ने रविशंकर की संस्था पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया था. उस वक्त श्री श्री ने कहा था कि उन्हें तो इस बात के लिए अवॉर्ड दिया जाना चाहिए कि दुनिया भर के लोगों को वह सबसे प्रदूषित नदियों में से एक के किनारे एकजुट कर पाए.
यही नहीं, इस कार्यक्रम के पहले दिन श्री श्री के साथ पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद थे. आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा है कि वह पर्यावरण के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है और वह देश भर में इस मुद्दे पर विभन्न परियोजनाओं के साथ जुड़ी हुई है.
अब इस पूरे मामले में बीजेपी की ओर से भी बयान आने लग गए हैं. बीजेपी के नेता महेश गिरी ने ट्वीट करके एनजीटी के इस बयान पर अफसोस जताया. गिरी ने ट्वीट किया कि - आर्ट ऑफ लिविंग के बारे में एनजीटी की यह बयान हैरान करने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण है. श्री श्री के सानिध्य में आर्ट ऑफ लिविंग ने कई नदियों को पुनिर्जीवित किया है. दुनिया भर में अपने सेवा भाव के लिए पहचाने जाने वाली इस संस्था के खिलाफ कोर्ट का यह बयान पक्षपातपूर्ण है.
.@ArtofLiving Such comments by NGT show an apparent bias against @ArtofLiving, the reasons for which need to be identified & require significant proofing.
— Maheish Girri (@MaheishGirri) April 20, 2017
उधर दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर बग्गा ने भी कोर्ट के इस बयान पर अपनी राय रखी. तेजिंदर ने अपने ट्वीट में लिखा - जिन श्री श्री रविशंकर जी ने अपना जीवन समाज,प्रकृति और 27 नदियो को पुर्नजीवित करने में लगा दिया NGT का उनपर ब्यान बेहद खेदजनक और चौंकानेवाला है.
जिन श्रीश्रीरविशंकर जी ने अपना जीवन समाज,प्रकृति और 27 नदियो को पुर्नजीवित करने में लगा दिया NGT का उनपर ब्यान बेहद खेदजनक और चौकानेवाला है
— Tajinder Pal S Bagga (@TajinderBagga) April 20, 2017
उधर आर्ट ऑफ लिविंग के प्रवक्ता ने कोर्ट की इस टिप्पणी पर कहा है कि वह इससे सहमत नहीं हैं. प्रवक्ता ने कहा कि अदालत का असल आंकलन अंतिम आदेश में सामने आएगा. अगली सुनवाई सात मई को होगी.
गौरतलब है कि पिछले साल यमुना के किनारे हुए वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल का पर्यावरणविदों ने विरोध किया था. लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था कि अब कार्यक्रम को रद्द करने के लिए बहुत देर हो चुकी है. इसके साथ ही कोर्ट ने रविशंकर की संस्था पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया था. उस वक्त श्री श्री ने कहा था कि उन्हें तो इस बात के लिए अवॉर्ड दिया जाना चाहिए कि दुनिया भर के लोगों को वह सबसे प्रदूषित नदियों में से एक के किनारे एकजुट कर पाए.
यही नहीं, इस कार्यक्रम के पहले दिन श्री श्री के साथ पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद थे. आर्ट ऑफ लिविंग ने कहा है कि वह पर्यावरण के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है और वह देश भर में इस मुद्दे पर विभन्न परियोजनाओं के साथ जुड़ी हुई है.
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