देश में कोविड-19 के खिलाफ चल रहा वैक्सीनेशन ड्राइव कई राज्यों में वैक्सीन की कमी के चलते रुका हुआ है. वैक्सीन का आयात करने, प्रोडक्शन बढ़ाने और दूसरी फार्मा कंपनियों से भी वैक्सीन का फॉर्मूला शेयर करने की बहसें चल रही हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी मंगलवार को इसका समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि देश में कई दूसरी कंपनियों को भी कोविड वैक्सीन बनाने का लाइसेंस दिया जाना चाहिए. लेकिन आज उन्होंने ट्वीट कर अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया है.
उन्होंने कहा कि 'कल स्वदेशी जागरण मंच के एक कार्यक्रम में मैंने कोविड वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने का सुझाव दिया था. मुझे तबतक जानकारी नहीं थी कि रसायन व उर्वरक मंत्री मनसुख मांडवीय ने इस संबंध में सरकार की कोशिशों की जानकारी दी थी. कॉन्फ्रेंस के बाद उन्होंने मुझे भी बताया कि भारत सरकार पहले ही 12 अलग प्लांट/कंपनियों की ओर से वैक्सीन निर्माण शुरू करने की कोशिशें कर रही है और इन कोशिशों से निकट भविष्य में प्रोडक्शन मे तेजी आने की उम्मीद है.'
गडकरी ने कहा कि 'मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी जब मैंने अपना यह सुझाव कल दिया था. मुझे खुशी है कि वो और उनकी टीम मिलकर सही दिशा में कदम उठा रहे हैं. मैं इसके लिए उन्हें बधाई देती हूं. मुझे लगता है कि यह अहम जानकारी साझा की जानी चाहिए.'
...vaccine production.
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) May 19, 2021
After conference, he also informed me that, GoI is already facilitating vaccine manufacturing by 12 different plants/companies and rapid ramp up of production is expected in near future as a result of these efforts.
बता दें कि गडकरी ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘यदि टीके की आपूर्ति के मुकाबले उसकी मांग अधिक होगी तो इससे समस्या खड़ी होगी, इसलिए एक कंपनी के बजाय 10 और कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में लगाया जाना चाहिए. इसके लिये टीके के मूल पेंटेंट धारक कंपनी को दूसरी कंपनियों द्वारा दस प्रतिशत रॉयल्टी का भुगतान किया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा था कि देश भर की लैब्स में वैक्सीन का फॉर्मूला शेयर किया जाना चाहिए. यह सुझाव पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दे चुके है.
गडकरी ने यह भी कहा कि 'मैं निश्चिंत हूं कि हर राज्य में दो-तीन ऐसे लैब हैं, जिनके पास इंफ्रा और क्षमता है. उनके साथ फॉर्मूला शेयर किया जाए और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सहायता दी जाए. वो पूरे देश में सप्लाई करें और बाद में अगर उनके पास अतिरिक्त स्टॉक हो तो वो निर्यात करें. ये 15-20 दिनों में हो सकता है. इससे वैक्सीन की कमी दूर की जा सकती है.'
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस बारे में आग्रह करेंगे कि देश में जीवनरक्षक दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिये और दवा कंपनियों को मंजूरी देने के लिये कानून बनाया जाना चाहिए. इसमें दवा के पेटेंट धारक को अन्य दवा कंपनियों द्वारा 10 प्रतिशत रॉयल्टी देने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
उनके इस बयान पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा था. जयराम रमेश ने उनके बयान पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस चिट्ठी को याद किया, जो अप्रैल में उन्होंने पीएम मोदी के नाम लिखी थी. कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, '18 अप्रैल को डॉक्टर मनमोहन सिंह ने यही बात सुझाई थी. लेकिन क्या उनके बॉस सुन रहे हैं?'
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