प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:
देश में कई प्रमुख शहरों और सड़कों के नाम समय-समय पर सरकारों ने बदले हैं. मसलन कभी दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया तो हरियाणा सरकार ने गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया. इसी कड़ी में अब एक बीजेपी नेता ने राजधानी दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने तो आधिकारिक दस्तावेजों और संविधान के अनुच्छेद एक(1) से देश का 'इंडिया' नाम मिटाने की मांग उठाई है. बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्वनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन शहरों और सड़को के नामों की लिस्ट भेजी है, जिनका नाम चाहते हैं कि बदला जाए.
अश्वनी का तर्क है कि गुलामी की दास्तां से मुक्त हुए भारत में विदेशी आक्रांताओं के नामों पर इमारतों, सड़कों और शहरों का नाम नहीं होना चाहिए. बल्कि प्राचीन समय में जो नाम था, उसी को फिर से बहाल किया जाए, ताकि जनमासन अपनी जड़ों से जुड़ाव महसूस करे. उन्होंने इंडिया गेट का नाम भारत द्वार और राजपथ का नाम धर्मपथ करने की मांग की है. इसके अलावा इंडिया गेट के आसपास से गुजरने वाली सात प्रमुख सड़कों के नाम भगवान कृष्ण, बलराम, युधिष्ठर, अर्जुन आदि पांडवों के नाम करने की मांग की है.
दावा-मुगलों ने इन शहरों के नाम बदले
अश्वनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कई शहरों के नाम गिनाए हैं, दावा है कि इन शहरों का नाम मुगलों ने बदले. इसमें कई राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालय और टाउन एरिया के नाम हैं. मसलन, हैदराबाद, अहमदाबाद, अहमदनगर, औरंगाबाद, उस्मानाबाद, भोपाल,पटना, नजीमाबाद, करीमाबाद, अदीलाबाद, महबूबाबाद, महबूब नगर, मुजफ्फरनगर, अजमेर, अलीगढ़, गाजीपुर और फैजाबाद.
उपाध्याय के मुताबिक ब्रिटिश और मुगलों के आने से पहले इन शहरों के नाम दूसरे थे. उपाध्याय ने मांग उठाई है कि जिस तरह देश की आजादी के बाद से शहरों के नए नामकरण हुए, जैसे 1996 में मद्रास से चेन्नई, 2001 में कलकत्ता से कोलकाता, 2006 में पांडिचेरी से पुडुचेरी, 2007 में बंगलौर से बेंगलुरु , 2014 में मंगलौर से मंगलुरु और 2016 में गुड़गांव का नाम गुरुग्राम किया गया, उसी तरह दिल्ली का नाम भी बदलकर इंद्रप्रस्थ किया जाए. क्योंकि पांडवों के समय यह इंद्रप्रस्थ के रूप में जानी जाती थी. इतिहास के मुताबिक पांडवों ने खांडवप्रस्थ को बसाया था, बाद में उसका नाम इंद्रप्रस्थ हुआ, जिसे बाद में दिल्ली नाम दे दिया गया.
देश के दो नाम क्यों
बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने पत्र में कहा है कि दुनिया के जितने भी देश हैं, सबके एक ही नाम हैं, मगर अपना देश हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया के नाम से जाना जाता है. इंडिया और भारत दो नामों से भ्रम होता है. संविधान के अनुच्छेद एक में दर्ज इंडिया नाम को मिटाने की मांग करते हुए अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेज पहले हिंदु उच्चारित नहीं कर पाते थे और इंदू कहते थे, हिंदुस्तान की जगह इंदुस्तान कहते थे, बाद में नाम इंडिया कह दिया. उपाध्याय ने कहा कि 18 सितंबर 1949 को जब संविधान सभा की बैठक हुई थी तब कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा ने इंडिया नाम रखे जाने पर विरोध जताया था. उस वक्त देश का नाम तय करने पर बहस हुई थी.
हिन्दुस्तान, भारत, हिन्द, भारतभूमि और भारतवर्ष आदि पर चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि भारतीय वेद-पुराणों में भारतवर्ष का उल्लेख मिलता है. महाभारत में भारतवर्ष का जिक्र है, इस नाते भारत शब्द से ही देश का सही प्रतिनिधित्व होता है. अश्वनी ने कहा कि इंडिया शब्द की उत्पति INDUS(इंडस) यानी सिंधु नदी से हुई. इंडिया विदेशी शब्द है. दुनिया के ज्यादातर देशों के नाम उनकी स्थानीय भाषा, धर्म-जाति और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले रखे गए हैं, जबकि इंडिया के साथ ऐसा नहीं है. इंडिया शब्द नया है, जिससे लगता है कि इंडिया नामक स्टेट दुनिया में काफी बाद में अस्तित्व में आया है. जबकि हमारा इतिहास हजारों-हजार साल पुराना है.
अश्वनी का तर्क है कि गुलामी की दास्तां से मुक्त हुए भारत में विदेशी आक्रांताओं के नामों पर इमारतों, सड़कों और शहरों का नाम नहीं होना चाहिए. बल्कि प्राचीन समय में जो नाम था, उसी को फिर से बहाल किया जाए, ताकि जनमासन अपनी जड़ों से जुड़ाव महसूस करे. उन्होंने इंडिया गेट का नाम भारत द्वार और राजपथ का नाम धर्मपथ करने की मांग की है. इसके अलावा इंडिया गेट के आसपास से गुजरने वाली सात प्रमुख सड़कों के नाम भगवान कृष्ण, बलराम, युधिष्ठर, अर्जुन आदि पांडवों के नाम करने की मांग की है.
दावा-मुगलों ने इन शहरों के नाम बदले
अश्वनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कई शहरों के नाम गिनाए हैं, दावा है कि इन शहरों का नाम मुगलों ने बदले. इसमें कई राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालय और टाउन एरिया के नाम हैं. मसलन, हैदराबाद, अहमदाबाद, अहमदनगर, औरंगाबाद, उस्मानाबाद, भोपाल,पटना, नजीमाबाद, करीमाबाद, अदीलाबाद, महबूबाबाद, महबूब नगर, मुजफ्फरनगर, अजमेर, अलीगढ़, गाजीपुर और फैजाबाद.
उपाध्याय के मुताबिक ब्रिटिश और मुगलों के आने से पहले इन शहरों के नाम दूसरे थे. उपाध्याय ने मांग उठाई है कि जिस तरह देश की आजादी के बाद से शहरों के नए नामकरण हुए, जैसे 1996 में मद्रास से चेन्नई, 2001 में कलकत्ता से कोलकाता, 2006 में पांडिचेरी से पुडुचेरी, 2007 में बंगलौर से बेंगलुरु , 2014 में मंगलौर से मंगलुरु और 2016 में गुड़गांव का नाम गुरुग्राम किया गया, उसी तरह दिल्ली का नाम भी बदलकर इंद्रप्रस्थ किया जाए. क्योंकि पांडवों के समय यह इंद्रप्रस्थ के रूप में जानी जाती थी. इतिहास के मुताबिक पांडवों ने खांडवप्रस्थ को बसाया था, बाद में उसका नाम इंद्रप्रस्थ हुआ, जिसे बाद में दिल्ली नाम दे दिया गया.
देश के दो नाम क्यों
बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय ने पत्र में कहा है कि दुनिया के जितने भी देश हैं, सबके एक ही नाम हैं, मगर अपना देश हिंदी में भारत और अंग्रेजी में इंडिया के नाम से जाना जाता है. इंडिया और भारत दो नामों से भ्रम होता है. संविधान के अनुच्छेद एक में दर्ज इंडिया नाम को मिटाने की मांग करते हुए अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि अंग्रेज पहले हिंदु उच्चारित नहीं कर पाते थे और इंदू कहते थे, हिंदुस्तान की जगह इंदुस्तान कहते थे, बाद में नाम इंडिया कह दिया. उपाध्याय ने कहा कि 18 सितंबर 1949 को जब संविधान सभा की बैठक हुई थी तब कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा ने इंडिया नाम रखे जाने पर विरोध जताया था. उस वक्त देश का नाम तय करने पर बहस हुई थी.
हिन्दुस्तान, भारत, हिन्द, भारतभूमि और भारतवर्ष आदि पर चर्चा हुई थी. उन्होंने कहा कि भारतीय वेद-पुराणों में भारतवर्ष का उल्लेख मिलता है. महाभारत में भारतवर्ष का जिक्र है, इस नाते भारत शब्द से ही देश का सही प्रतिनिधित्व होता है. अश्वनी ने कहा कि इंडिया शब्द की उत्पति INDUS(इंडस) यानी सिंधु नदी से हुई. इंडिया विदेशी शब्द है. दुनिया के ज्यादातर देशों के नाम उनकी स्थानीय भाषा, धर्म-जाति और विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले रखे गए हैं, जबकि इंडिया के साथ ऐसा नहीं है. इंडिया शब्द नया है, जिससे लगता है कि इंडिया नामक स्टेट दुनिया में काफी बाद में अस्तित्व में आया है. जबकि हमारा इतिहास हजारों-हजार साल पुराना है.
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