लगातार विवादों में घिरे रहने वाले बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अब एक नए विवाद की चपेट में आ गए हैं। इस बार मामला उनके दामाद से जुड़ा है, जिन्हें मुख्यमंत्री ने अपना निजी सहायक (पीए) नियुक्त किया है।
हालांकि मुख्यमंत्री के दामाद देवेंद्र मांझी ने दावा किया है कि वर्ष 2006 में जीतन राम मांझी के नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में समाज कल्याण मंत्री बनने के वक्त से ही वह उनके निजी सहायक के रूप में काम करते आ रहे हैं और जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें एक बार फिर निजी सहायक के तौर पर अधिसूचित किया गया।
राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी ने इस मुद्दे पर जीतन राम मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधानसभा में नेता विपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा है कि यह नियमों के खिलाफ है और हम सबके लिए यह हैरान करने वाला कदम है, क्योंकि कोई भी अपने निकट संबंधियों को अपने निजी सहायक के रूप में नियुक्त नहीं कर सकता है।
बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने इस मामले को भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा बताते हुए कहा कि यह बिहार का दुर्भाग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2000 में ही बिहार सरकार द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें स्पष्ट निर्देश थे कि कोई भी अपने संबंधियों को अपने निजी स्टाफ के रूप में नियुक्त नहीं कर सकता है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से जब इस विवाद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, यही पूछना है?
देवेंद्र मांझी, जीतन राम मांझी की दूसरी पत्नी की सबसे बड़ी बेटी के पति हैं। देवेंद्र ने विपक्ष की आलोचनाओं पर कहा कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और 2006 से जीतन मांझी के निजी सहायक रहे हैं, तो अब उनके (जीतन मांझी के) मुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस बात पर आपत्ति क्यों की जा रही है।
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