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तीन कैटेगरी में बांटे वोटर, दिवाली से छठ के बीच मेन गेम! बिहार में NDA का 'मिशन 160+' कितना टफ, कितना आसान?

NDA Mission 160+ in Bihar: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "NDA को सबसे बड़ी जीत 2010 के चुनाव में मिली थी, तब धर्मेंद्र प्रधान सह प्रभारी थे. पार्टी ने फिर से उन्हें प्रभारी बनाया है. वे बिहार को समझते हैं. लेकिन इस बार की राह आसान नहीं है."

तीन कैटेगरी में बांटे वोटर, दिवाली से छठ के बीच मेन गेम! बिहार में NDA का 'मिशन 160+' कितना टफ, कितना आसान?
अररिया में बीजेपी नेताओं के साथ हुई बैठक अमित शाह और सम्राटचौ
  • बिहार में दुर्गा पूजा के बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा होगी और दिवाली-छठ के आस-पास चुनाव की संभावना है.
  • NDA ने 160 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछली बार 125 सीटें ही मिली थीं.
  • अमित शाह ने हर बूथ पर 10 प्रतिशत वोट बढ़ाने और 3 श्रेणियों में मतदाताओं को बांटकर रणनीति बनाने को कहा है.
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पटना:

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में दुर्गा पूजा के बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाएगी. अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार दिवाली-छठ के आस-पास में राज्य में चुनाव होगा. जिसके लिए सभी राजनीतिक दलें अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हैं. NDA के चुनाव अभियान की कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है. पिछले दिनों अपने 2 दिन के दौर में उन्होंने 4 बैठक की, एक सभा को भी संबोधित किया. अमित शाह ने बेतिया, समस्तीपुर, अररिया और पटना में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. उन्हें जीत के टिप्स दिए.

पहले अमित शाह ने 225 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया. पिछले चुनाव में एनडीए को कुल 125 सीटें मिली थी. ऐसे में इस हिसाब से नए लक्ष्य को पाने के लिए गठबंधन को 100 और सीटें जितनी होंगी. जो इतना आसान नहीं है. इसलिए अमित शाह ने बाद में अररिया में आयोजित बैठक में 160 से अधिक सीटें जीतने की बात की.
 

ऐसे में यह तो क्लियर है कि बिहार में NDA ने 160+ को अपना टारगेट बना लिया है. लेकिन इस टागरेट तक कैसे पहुंचा जाए, यह टारगेट कितना आसान है, कितना मुश्किल है, आज की रिपोर्ट में चर्चा इसी बात की.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में NDA का ऐसा था प्रदर्शन

  • पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 19.46% वोट लाकर 74 सीटें जीती थी.
  • जबकि जदयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ी और 15.39% वोट लाकर 43 सीटें जीत पाई.
  • हम ने 7 में से 4 और मुकेश सहनी की वीआईपी 13 में से 4 सीटें जीती थी. गठबंधन को कुल 125 सीटें आई थी.

पिछले चुनाव जहां पिछड़े, वहां इस बार ज्यादा फोकस

  1. पिछले विधानसभा चुनाव में जिन इलाकों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं था, वहां फोकस करने को कहा गया है. पिछले चुनाव में एनडीए का सबसे बुरा प्रदर्शन मगध के इलाके में था. यहां 47 में से 17 सीटें ही NDA जीत पाई थी.
  2. इसके अलावा भोजपुर इलाके में भी NDA को बुरी हार का सामना करना पड़ा था. इस इलाके में 46 में से 12 सीटें महागठबंधन ने जीती थी. सिर्फ इन दोनों इलाकों में गठबंधन को पिछली बार से 50 सीटें अधिक जीतना होगा.
  3. वहीं मिथिलांचल जैसे मजबूत गढ़ में भी 15 सीटें बढ़ानी होंगी. पिछली बार इस इलाके में 58 में से 38 सीटें एनडीए ने जीती थी.
अररिया में बीजेपी नेताओं के साथ बैठक करते अमित शाह.

अररिया में बीजेपी नेताओं के साथ बैठक करते अमित शाह.

कैसे बढ़ेंगी सीटें? NDA ने बनाई यह रणनीति

अमित शाह ने हर बूथ पर 10 फीसदी वोट बढ़ाने का लक्ष्य दिया है. भाजपा दीपावली से छठ के बीच सभी मंडल में सम्मेलन करेगी. प्रवासी मतदाताओं के बीच अपनी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करेगी. पार्टी ने मतदाताओं की मैपिंग की है. इस मैपिंग के हिसाब से मतदाताओं को 3 कैटेगरी में बांटा है.
 

  • A - जो पार्टी के कार्यकर्ता हैं, उनके परिवार के सदस्य हैं.
  • B - जो पार्टी के समर्थक वोटर रहे हैं.
  • C - जो मुद्दों के आधार पर वोट करते हैं, किसी के स्थाई वोटर नहीं हैं.


इन सभी मतदाता 12 बजे तक वोट डाल लें, यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा हर विधानसभा में 225 बार जाकर लोगों से मुलाकात करनी है. सीमांचल के इलाके में अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी पार्टी से जोड़ने और सभी वार्ड के प्रमुख लोगों को भाजपा से जोड़ने पर फोकस किया जाएगा.

NDA का टारगेट कितना आसान, कितना मुश्किल

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं, "एनडीए को सबसे बड़ी जीत 2010 के चुनाव में मिली थी, तब धर्मेंद्र प्रधान सह प्रभारी थे. पार्टी ने फिर से उन्हें प्रभारी बनाया है. वे बिहार को समझते हैं. लेकिन 225 की राह आसान नहीं है. इसलिए अमित शाह ने भी 160 से अधिक सीटें की बात की. मगध और शाहाबाद के इलाके को जीतना NDA के लिए अभी भी इतना आसान नहीं है. इस इलाके में माले और राजद के गठबंधन के कारण महागठबंधन काफी मजबूत हो जाता है. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को इस इलाके में सफलता नहीं मिली थी.

प्रशांत किशोर की सेंधमारी, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर उठ रहे सवाल NDA के लिए चुनौती हैं. इसलिए मिशन 225 कार्यकर्ताओं को हौसला दिलाने के लिए भले ही दोहराया जाए लेकिन जमीन पर यह उतरते हुए नहीं दिख रहा.

रवि उपाध्याय

वरिष्ठ पत्रकार

प्रशांत किशोर की सेंधमारी, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर उठ रहे सवाल NDA के लिए चुनौती हैं. इसलिए मिशन 225 कार्यकर्ताओं को हौसला दिलाने के लिए भले ही दोहराया जाए लेकिन जमीन पर यह उतरते हुए नहीं दिख रहा.

BJP को भरोसा, NDA को बड़ी जीत मिलेगी

भाजपा के प्रदेश मंत्री और मिथिला के प्रभारी रत्नेश कुशवाहा बड़ी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. वे कहते हैं, "सरकार की योजनाएं, विकास कार्य, NDA में बेहतर समन्वय और बेहतर सामाजिक संतुलन हमें इस बार बड़ी जीत दिलाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव के प्रदर्शन की हमने समीक्षा की है. पार्टी इस बार टिकट वितरण में सामाजिक संतुलन का विशेष ध्यान रखने वाली है. इस बार एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन के कारण प्रखंड स्तर तक हमारा कॉर्डिनेशन बेहतर हुआ है.

उन्होंने आगे कहा कि हमने जिला सम्मेलन किए, विधानसभा स्तर पर सम्मेलन किए और प्रखंड स्तर तक भी हमारे कार्यकर्ताओं का समन्वय बना है. इसका फायदा चुनाव में मिलेगा. सबसे बड़ी बात है कि योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचा है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के दस हजार, 125 यूनिट बिजली. इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, स्पेशल इकोनॉमिक जोन जैसी चीजों के कारण लोगों में उत्साह है. वे जानते हैं कि विकसित बिहार के लिए भाजपा जरूरी है. जाहिर है इसका फायदा तो हमें मिलेगा ही.

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