बिहार के कैमूर जिसे के चार विधानसभा सीटों में से एक है मोहनिया विधानसभा सीट. यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान कराया गया था. चुनाव आयोग के मुताबिक मोहनिया सीट पर कुल 68.54 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. अब से कुछ घंटे बाद ही बिहार की बाकी की विधानसभा सीटों की तरह मोहनिया सीट का मतगणना भी शुरू हो जाएगी. अधिकारियों के मुताबिक मोहनिया में 26 राउंड में वोटों की गिनती की काम पूरा होगा.
पिछले विधानसभा चुनाव में कौन जीता था
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में मोहनिया सीट से राष्टीय जनता दल की संगीता कुमारी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी के निरंजन राम को हराया था. संगीता पासवान को 61 हजार 235 वोट और निरंजन राम को 49 हजार 181 वोट मिले थे. इस सीट पर उस समय उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की उम्मीदवार सुमन देवी 39 हजार 855 वोट पाकर तीसरा स्थान हासिल किया था. इस सीट पर चुनाव लड़ रहे 13 उम्मीदवारों में से इन तीनों को छोड़कर कोई भी उम्मीदवार दो हजार वोट हासिल नहीं कर पाया था.
रद्द हो गया था राजद उम्मीदवार का नामांकन
मोहनिया का चुनाव इस बार बेहद रोचक और अप्रत्याशित राजनीतिक समीकरणों से भरा हुआ है.दरअसल तकनीकी कारणों से राष्ट्रीय जनता दल के अधिकृत उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन पत्र रद्द कर दिया गया.दरअसल जांच में श्वेता का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र अवैध पाया गया था. इसके बाद से इस सीट पर राजद ने निर्दलीय उम्मीदवार रविशंकर पासवान को अपना समर्थन दिया.वो बीजेपी के पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं.
साल 2025 के चुनाव से पहले संगीता कुमारी दल बदलकर बीजेपी में चली आई हैं. बीजेपी ने उन्हें अपना उम्मीदवार भी बनाया है.लेकिन स्थानीय स्तर पर उन्हें कुछ नाराजगी का सामना करना पड़ा है.इससे बचने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोटों मांगा है. बीजेपी का मजबूत वोट बैंक और महिला मतदाताओं का एनडीए को मिले समर्थन उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. वहीं निर्दलीय राजद समर्थित प्रत्याशी रविशंकर पासवान ने अपने पारंपरिक पासवान मतदाताओं और राजद के कोर वोट बैंक का समर्थन बनाए रखा है.रविशंकर एनडीए की मजबूत सहयोगी एलजेपीआर के कोर वोट बैंक दुसाध-पासवा समाज से आते हैं. अगर वो इस जाति का वोट अपनी तरफ कर पाने में सफल हो जाते हैं तो इससे बीजेपी के लिए परेशानी पैदा हो जाएगी. वो पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं. इसका अतिरिक्त राजनीतिक लाभ उन्हें मिलता हुआ नजर आ रहा है. राजद का कोर वोट बैंक भी उनके समर्थन में नजर आया.
जन सुराज ने बनाया मुकाबले को त्रिकोणीय
जन सुराज की गीता देवी ने मोहनिया के मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. उन्होंने समाज के हर वर्ग में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की,जिससे चुनाव में जाति का असर कम हो सके.वहीं बसपा के पारंपरिक दलित वोटरों में कुछ बिखराव को छोड़कर उसका अधिकांश वोट अभी भी बसपा उम्मीदवार ओमप्रकाश नारायण के साथ नजर आया.
इस चुनाव में किस उम्मीवार की मेहनत का कितना फल मिला, इसका पता अब से कुछ घंटे बाद शुरू होने वाली मतगणना में चलेगा. मोहनिया के 13 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 14नवंबर को होने वाली मतगणना में होगा, जिसके शुरू होने में अब केवल कुछ घंटे ही रह गए हैं.
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