बिहार में सत्तारूढ़ NDA के शीर्ष नेताओं नीतीश कुमार और सुशील मोदी के बाद अब महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी शुक्रवार (16 अक्टूबर) से एक्चुअल चुनावी रैलियों को संबोधित करना शुरू कर दिया है. सभा शुरू होने से पहले तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वो थक चुके हैं और अब बिहार उनसे संभल नहीं पा रहा है.
हालाँकि, तेजस्वी ने अपनी बात का आधार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही उन बयानों को बनाया जिसमें सीएम ने कहा था कि लैंड-लॉक होने की वजह से यहां उद्योग-धंधे नहीं लग सकते या नए रोज़गार का सृजन नहीं हो सकता. नीतीश कुमार ने कहा था कि चूंकि बिहार के आस पास समुद्र नहीं है, इसके कारण पिछले 15 वर्षों में प्रयास के बावजूद उद्योग धंधे नहीं लग सके. उन्होंने तेजस्वी यादव के 10 लाख लोगों को नौकरी देने के वादे को भी झूठा बतलाया था.
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इधर, तेजस्वी यादव का कहना है कि नीतीश कुमार हर मुद्दे पर भागने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम ने अब सीधे-सीधे अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. तेजस्वी की मानें तो नीतीश कुमार ने ख़ुद ही मान लिया है कि राज्य में इतने बड़े स्तर पर नौकरियां नहीं दी जा सकती हैं. तेजस्वी ने कहा कि जैसे लॉकडाउन के समय नीतीश कुमार जी ने संसाधनों की कमी का रोना रोकर अपना पल्ला झाड़ लिया था, उसी तरह संसाधन नहीं होने की बात कह वह नौकरी देने के मामले में भी पल्ला झाड़ रहे हैं.
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महगठबंधन का मुख्य मंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव का कहना है कि अगर जनता ने उन्हें एक मौक़ा दिया तो वो ना केवल राज्य में कल-कारख़ाने लगवाएंगे बल्कि पहली कैबिनेट मीटिंग में ही 10 लाख लोगों को नौकरी देने के वादे को पूरा करेंगे. अपनी पहली चुनावी रैली से पहले उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनी तो राज्य में मौजूदा वृद्धावस्था पेन्शन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह करेंगे. तेजस्वी ने नियोजित शिक्षकों को भी समान काम के बदले समान वेतन देने का वादा किया है.
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