विज्ञापन

अलवर हॉस्टल में दीवार के पीछे छिपी थी धर्मांतरण की काली दुनिया, बच्चों से कहते थे- नरक में जलोगे

अलवर के एमआईए थाना क्षेत्र की सैय्यद कॉलोनी का ईसाई मिशनरी हॉस्टल बाहर से साधारण सा दिखता है. लेकिन अंदर सालों से बच्चों के दिमाग से खेला जा रहा था. 15 साल से छोटे मासूमों को यहां रखा जाता और उनका ब्रेनवॉश कर धर्म बदलवाया जाता.

अलवर हॉस्टल में दीवार के पीछे छिपी थी धर्मांतरण की काली दुनिया, बच्चों से कहते थे- नरक में जलोगे
15 साल से छोटे बच्चों का किया जा रहा था ब्रेनवॉश
अलवर:

Alwar Conversion Racket: राजस्थान में धर्म परिवर्तन का खेल कितने बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, इसका पर्दा अलवर की पुलिस कार्रवाई ने उठा दिया है. मासूम बच्चों को पढ़ाई और परवरिश के नाम पर हॉस्टल में कैद कर उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा था. उनके नाम बदले जा रहे थे और मजबूर कर धर्मांतरण कराया जा रहा था. ये सिर्फ एक हॉस्टल या एक शहर का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसे नेटवर्क की कहानी है जिसके तार राजस्थान से बाहर चेन्नई और बेंगलुरु तक जुड़े हैं. लाखों की फंडिंग, ट्रेनिंग और संगठित ढंग से चल रहा यह पूरा रैकेट दिखाता है कि धर्मांतरण महज एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि संगठित साज़िश है. सवाल है कि इतने सालों से मासूमों को गुमराह करने वाला यह कारोबार किसकी शह पर चल रहा था और इसकी जड़ें कितनी गहरी हैं? धर्म परिवर्तन के इस रैकेट का खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब राजस्थान सरकार विधानसभा में धर्मांतरण रोकने के लिए विधेयक पेश कर चुकी है और मंगलवार को इस पर बहस होनी है.

कोई जोसेफ बन गया, कोई योहना और कोई जॉय

अलवर के एमआईए थाना क्षेत्र की सैय्यद कॉलोनी का ईसाई मिशनरी हॉस्टल बाहर से साधारण सा दिखता है. लेकिन अंदर सालों से बच्चों के दिमाग से खेला जा रहा था. 15 साल से छोटे मासूमों को यहां रखा जाता और उनका ब्रेनवॉश कर धर्म बदलवाया जाता. करीब 60 बच्चों को यहां कैद जैसा माहौल दिया गया. दीवारें 10 फीट ऊंची, ऊपर तारबंदी थी, ताकि न कोई बच्चा भाग सके और न ही बाहर से कोई अंदर की हकीकत देख पाए. दिखावे के लिए बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूलों में करवाया जाता था. लेकिन लौटकर हॉस्टल आते ही शुरू होता था, धर्मांतरण का खेल. बच्चों के हिंदू नाम बदलकर ईसाई रख दिए गए. कोई जोसेफ बन गया, कोई योहना और कोई जॉय. पुलिस की दबिश के दौरान बच्चे दीवार कूदकर भागने लगे, लेकिन पुलिस ने 52 बच्चों को यहां से सुरक्षित निकाला.

नेटवर्क का मास्टरमाइंड चेन्नई का धर्म

पुलिस की जांच में सामने आया कि मास्टरमाइंड बच्चों को धार्मिक किताबें पढ़वाते, रोज़ाना प्रेयर कराते और रविवार को उनके माता-पिता को बुलाकर विशेष सभाएं आयोजित करते. पुलिस ने दो आरोपियों सोहन सिंह और बोध अमृत सिंह को गिरफ्तार किया है. एसपी सुधीर चौधरी के मुताबिक, अमृत सिंह पहले भी सीकर में धर्मांतरण केस में पकड़ा गया था. वहां से जमानत पर छूटने के बाद वह अलवर पहुंचा. इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड चेन्नई का धर्म गुरु सेल्वा है. अगस्त में इसी ने सीकर में धर्मांतरण कराया था. अब उसकी तलाश तेज हो गई है.

Latest and Breaking News on NDTV

पूरा रैकेट धीरे-धीरे बेनकाब हो रहा

अमृत सिंह पहले गरासिया था, बाद में खुद धर्म परिवर्तन किया. इसके बाद दूसरे लोगों को जोड़ने लगा. गुजरात, बीकानेर, श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और सीकर तक नेटवर्क फैला है. इस रैकेट के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग चेन्नई से आती थी. वहीं से ट्रेनिंग भी मिलती थी कि बच्चों का ब्रेनवॉश कैसे करना है. पुलिस छापे में धार्मिक ग्रंथ, डिजिटल और प्रिंटेड मटेरियल बरामद किया गया है. पकड़ा गया बोध अमृत 2006 में ईसाई धर्म अपना चुका था और उसे चेन्नई में खास ट्रेनिंग मिली थी. ट्रेनिंग में उसे सिखाया गया कि कैसे मासूम बच्चों का दिमाग बदला जाए. गुजरात का रहने वाला अमृत करीब 19 साल से धर्मांतरण से जुड़ा हुआ है और श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर और सीकर में भी सक्रिय रहा. हाल ही में सीकर केस में पकड़ा गया और जमानत पर छूटने के बाद अलवर हॉस्टल का वार्डन बना दिया गया. सीकर में धर्मांतरण के इसी नेटवर्क का खुलासा कुछ महीने पहले भी हुआ था. उसी केस में आरोपी अमृत सिंह का नाम सामने आया था. जमानत पर छूटने के बाद उसने अलवर में बच्चों को निशाना बनाया. यानी आरोपी जगह बदलकर, तौर-तरीके बदलकर भी पुलिस को चकमा देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब पूरा रैकेट धीरे-धीरे बेनकाब हो रहा है.

स्लीपर सेल की तरह तैयार बच्‍चों का इस्‍तेमाल!

पुलिस को आरोपियों से बैंक ट्रांजैक्शन की डिटेल्स मिली हैं. कहा जा रहा है कि बड़ी मात्रा में पैसा गरीब परिवारों को लालच देने और बच्चों को फंसाने में खर्च होता था. विहिप का आरोप है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही ब्रेनवॉश कर हिंदू देवी-देवताओं के प्रति गलत सोच भरी जा रही थी. उन्हें स्लीपर सेल की तरह तैयार किया जा रहा था. बच्चों के नाम तक बदल दिए गए थे, जबकि उनका असली नाम कुछ और था और सभी पहले हिंदू या सिख परिवारों से थे. ये मामला भी ऐसे समय में सामने आया है, जब राजस्थान सरकार प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों को लेकर बिल सदन में पेश कर चुकी है. मंगलवार को उस पर बहस होनी है, बिल में राजस्थान में धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े क़ानून का प्रावधान किया गया है, जिसमें आजीवन कारावास जैसे प्रावधान शामिल हैं.

कुल मिलाकर पुलिस अब चेन्नई की संस्था एफएमबीपी की भूमिका खंगाल रही है, जिसके तार कई राज्यों में फैले हैं. सवाल यह भी है कि इतने सालों से बच्चों को पढ़ाई और पैसों का लालच देकर धर्म बदलवाने का ये खेल किसकी शह पर चल रहा था.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com