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अलविदा बिबेक देबरॉय : पुराणों का संस्कृत से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन, संसद TV पर एंकरिंग करने वाले पद्मश्री अर्थशास्त्री

अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय का निधन हो गया है.देबरॉय को उनकी आर्थिक नीतियों और रिसर्च के लिए जाना जाता है. वो अमृत काल में वित्त आयोग की एक्सपर्ट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे चुके थे. अर्थशास्त्र के अलावा वो इतिहास, संस्कृत, राजनीतिशास्त्र और आध्यात्म और दूसरे विषयों में एक्सपर्ट थे.

अलविदा बिबेक देबरॉय : पुराणों का संस्कृत से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन, संसद TV पर एंकरिंग करने वाले पद्मश्री अर्थशास्त्री
बिबेक देबरॉय को उनकी आर्थिक नीतियों और रिसर्च के लिए जाना जाता है.
नई दिल्ली:

देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy) का शुक्रवार (1 नवंबर) को निधन हो गया. 69 वर्षीय देबरॉय आंत में इंफेक्शन से जूझ रहे थे. उन्होंने दिल्ली के AIIMS में आखिरी सांसें ली. देबरॉय को उनकी आर्थिक नीतियों और रिसर्च के लिए जाना जाता है. वो अमृत काल में वित्त आयोग की एक्सपर्ट कमेटी के अध्यक्ष भी रहे चुके थे. अर्थशास्त्र के अलावा वो इतिहास, संस्कृत, राजनीतिशास्त्र और आध्यात्म और दूसरे विषयों में एक्सपर्ट थे. यही नहीं, उन्होंने सभी पुराणों का आसान भाषा में अंग्रेजी ट्रांसलेशन भी किया था. 

आइए जानते हैं, बिबेक देबरॉय की जिंदगी से जुड़ी दिलचस्प बातें:-

शिलॉन्ग में जन्म, कोलकाता में पढ़ाई
बिबेक देबरॉय का जन्म शिलॉन्ग 25 जनवरी 1955 में हुआ था. शिलॉन्ग अभी मेघायल का हिस्सा है. बाद में उनके दादा  सिलहट में शिफ्ट हो गए थे. सिलहट अभी बांग्लादेश का हिस्सा है. देबरॉय के पिता इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस ज्वॉइन की थी.

लंदन से की पीएचडी
बिबेक देबरॉय की शुरुआती पढ़ाई नरेंद्रपुर के रामकृष्ण मिशन विद्यालय में हुई. उन्होंने कोलकाता प्रेसिडेंसी कॉलेज और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में आगे की पढ़ाई की. बाद में बिबेक देबरॉय ट्रिनिटी कॉलेज का स्कॉलरशिप मिल गया. जिसके बाद वो पीएचडी करने लंदन चले गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद वो काम करने के लिए भारत लौटे थे.

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1979 से शुरू किया एकैडमिक करियर
बिबेक देबरॉय ने साल 1979 से अपने एकैडमिक करियर की शुरुआत की. उन्होंने 1984 तक कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाया. फिर पुणे स्थित गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स से जुड़े. यहां उन्होंने 1987 तक काम किया. फिर 1987 से 1993 तक उन्होंने दिल्ली में इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरिन ट्रेड की जिम्मेदारी संभाली. वो 1993 में वित्त मंत्रालय और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के एक प्रोजेक्ट के डायरेक्टर बने.

राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पररी स्टडीज में भी किया काम
बिबेक देबरॉय ने 1994 से 1995 तक इकॉनोमिक अफेयर्स की जिम्मेदारी संभाली. 1995 से 1996 तक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च में काम किया. 1997 से 2005 तक उन्होंने राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पररी स्टडीज में काम किया. फिर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री से जुड़ गए. यहां 2005 से 2006 तक काम किया. इसके बाद 2015 तक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के साथ जुड़े रहे.

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जनवरी 2015 में बने नीति आयोग के स्थायी सदस्य
बिबेक देबरॉय को 5 जनवरी 2015 में NITI आयोग का स्थायी सदस्य बनाया गया. फिर सितंबर 2017 को उन्हें आर्थिक सलाहकार परिषद का अध्यक्ष बनाया गया. 2018 से 2022 तक वो भारतीय सांख्यिकी संस्थान के चेयरमैन बनाए गए.

संसद टीवी पर एंकरिंग भी की
बिबेक देबरॉय ने संसद TV पर एंकरिंग भी की है. उनके शो 'इतिहास' में भारत, भारतीय और सनातन धर्म की जानकारी दी जाती थी.

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सभी पुराणों का किया ट्रांसलेशन
देबरॉय ने 10 खंडों की सीरीज में महाभारत के संक्षिप्त संस्करण का अंग्रेजी में अनुवाद किया है. उन्होंने भगवद गीता, हरिवंश, वेदों और वाल्मिकी की रामायण (3 खंडों) का अनुवाद भी किया है. देबरॉय ने भागवत पुराण (3 खंडों), मार्कंडेय पुराण (1 खंड), ब्रह्मा पुराण (2 खंड), विष्णु पुराण (1 खंड), शिव पुराण (3 खंड) और ब्रह्मांड पुराण (2 खंड) का अनुवाद किया है. मन्मथ नाथ दत्त के बाद बिबेक देबरॉय दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने महाभारत और रामायण दोनों का अंग्रेजी में संक्षिप्त रूप में अनुवाद किया है. 

इन पुरष्कारों से सम्मानित
-बिबेक देबरॉय को उनके अनुवादों के लिए भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट ने जुलाई 2023 में सर रामकृष्ण गोपाल भंडारकर मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है.
-सरकार ने 2015 में बिबेक देबरॉय को पद्मश्री से सम्मानित किया था.
-2016 में US-इंडिया बिजनेस समिट में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया.

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