भगत सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
भगत सिंह अब आतंकवादी नहीं बल्कि समाजवादी क्रांतिकारी कहे जाएंगे। भगत सिंह पर इतिहासकार विपिन चंद्रा द्वारा लिखी गई किताब को लेकर बहस के बाद इसके सह लेखकों ने पुस्तक के अगले संस्करण में यह बदलाव करने का फैसला लिया है।
सांसदों और भगत सिंह के परिजनों को आपत्ति
शहीद भगत सिंह की जिंदगी और दर्शन से जुड़ी ज्यादातर बातों को दुनिया के सामने लाने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार विपिन चंद्रा ने 1980 में जब अपनी मशहूर किताब 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' या 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' लिखी थी तब यह नहीं सोचा था कि किताब की एक लाख से ज्यादा प्रतियां बिकने के बाद इसके शब्द पर संसद में इतना हंगामा होगा। इस किताब के बीसवें चैप्टर 'शहीद भगत सिंह, सूर्यसेन और क्रांतिकारी आतंकवादी' पर सांसदों और भगत सिंह के परिवार वालों को ऐतराज है। इसमें भगत सिंह और उनके साथियों को क्रांतिकारी आतंकवादी कहा गया था।
विपिन चंद्रा तो अब नहीं रहे लेकिन इस विवाद के चलते अब इस किताब के चार सह लेखकों ने फैसला किया है कि भारत का स्वतंत्रता संघर्ष किताब के अगले संस्करण में भगत सिंह के लिए 'क्रांतिकारी आतंकवादी' की जगह 'क्रांतिकारी समाजवादी' शब्द लिखा जाएगा।
बदलते वक्त ने बदली आतंकवादी की परिभाषा
हालांकि 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' किताब में उक्त शब्द लिखते खुद विपिन चंद्रा ने भी साफ किया है कि इसके लिखने का मतलब कोई गलत भावना नहीं है। खुद विपिन चंद्रा का भगत सिंह के विचार और सिद्धांत को फैलाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस किताब के बाद जब 2006 में किताब 'द राइटिंग आफ विपिन चंद्रा' आई। इसमें भगत सिंह के लेख 'मैं नास्तिक क्यों हूं' का परिचय देते हुए विपिन चंद्रा ने भगत सिंह को स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी समाजवादी बताया है। इसी किताब में वे आगे लिखते हैं कि उन्हें डर है कि प्रतिक्रियावादी और कट्टरवादी ताकतें शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के विचार, नाम और प्रसिद्धी को अपने राजनीतिक एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
भगत सिंह के विचारों में था तेज बदलाव
इस किताब के सहलेखक आदित्य मुखर्जी बताते हैं कि फांसी पर चढ़ने से कुछ दिन पहले भगत सिंह ने खुद कहा था कि किसानों और मजदूरों को संगठित करना अब मुख्य काम होना चाहिए। 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' किताब के चैप्टर भगत सिंह, सूर्य सेन और क्रांतिकारी आतंकवादी में विपिन चंद्रा सवाल उठाते हैं कि भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथी व्यक्तिगत आतंकवादी कार्रवाई क्यों करते थे? वे इसका जवाब देते हुए लिखते हैं कि इसका कारण उनके विचारों में तेजी से बदलाव है। जिस काम में दशकों लग सकते थे उसे बस चंद समय में वे कर लेना चाहते थे।
खैर संसद भवन से लेकर विश्वविद्यालय तक में चर्चा और हंगामा होने के बाद अब इस 'क्रांतिकारी आतंकवाद' शब्द को इसके किए की सजा दी जा रही है। वक्त के बदलते दौर में इस शब्द को जमींदोज करने की मुहिम जोरों पर चल रही है।
सांसदों और भगत सिंह के परिजनों को आपत्ति
शहीद भगत सिंह की जिंदगी और दर्शन से जुड़ी ज्यादातर बातों को दुनिया के सामने लाने वाले प्रसिद्ध इतिहासकार विपिन चंद्रा ने 1980 में जब अपनी मशहूर किताब 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' या 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' लिखी थी तब यह नहीं सोचा था कि किताब की एक लाख से ज्यादा प्रतियां बिकने के बाद इसके शब्द पर संसद में इतना हंगामा होगा। इस किताब के बीसवें चैप्टर 'शहीद भगत सिंह, सूर्यसेन और क्रांतिकारी आतंकवादी' पर सांसदों और भगत सिंह के परिवार वालों को ऐतराज है। इसमें भगत सिंह और उनके साथियों को क्रांतिकारी आतंकवादी कहा गया था।
विपिन चंद्रा तो अब नहीं रहे लेकिन इस विवाद के चलते अब इस किताब के चार सह लेखकों ने फैसला किया है कि भारत का स्वतंत्रता संघर्ष किताब के अगले संस्करण में भगत सिंह के लिए 'क्रांतिकारी आतंकवादी' की जगह 'क्रांतिकारी समाजवादी' शब्द लिखा जाएगा।
बदलते वक्त ने बदली आतंकवादी की परिभाषा
हालांकि 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' किताब में उक्त शब्द लिखते खुद विपिन चंद्रा ने भी साफ किया है कि इसके लिखने का मतलब कोई गलत भावना नहीं है। खुद विपिन चंद्रा का भगत सिंह के विचार और सिद्धांत को फैलाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस किताब के बाद जब 2006 में किताब 'द राइटिंग आफ विपिन चंद्रा' आई। इसमें भगत सिंह के लेख 'मैं नास्तिक क्यों हूं' का परिचय देते हुए विपिन चंद्रा ने भगत सिंह को स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी समाजवादी बताया है। इसी किताब में वे आगे लिखते हैं कि उन्हें डर है कि प्रतिक्रियावादी और कट्टरवादी ताकतें शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के विचार, नाम और प्रसिद्धी को अपने राजनीतिक एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
भगत सिंह के विचारों में था तेज बदलाव
इस किताब के सहलेखक आदित्य मुखर्जी बताते हैं कि फांसी पर चढ़ने से कुछ दिन पहले भगत सिंह ने खुद कहा था कि किसानों और मजदूरों को संगठित करना अब मुख्य काम होना चाहिए। 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' किताब के चैप्टर भगत सिंह, सूर्य सेन और क्रांतिकारी आतंकवादी में विपिन चंद्रा सवाल उठाते हैं कि भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथी व्यक्तिगत आतंकवादी कार्रवाई क्यों करते थे? वे इसका जवाब देते हुए लिखते हैं कि इसका कारण उनके विचारों में तेजी से बदलाव है। जिस काम में दशकों लग सकते थे उसे बस चंद समय में वे कर लेना चाहते थे।
खैर संसद भवन से लेकर विश्वविद्यालय तक में चर्चा और हंगामा होने के बाद अब इस 'क्रांतिकारी आतंकवाद' शब्द को इसके किए की सजा दी जा रही है। वक्त के बदलते दौर में इस शब्द को जमींदोज करने की मुहिम जोरों पर चल रही है।
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