बाढ़ की तबाही के बाद अब बेंगलुरू में नजर आ रहे बुलडोजर, जानें क्‍या है कारण...

गोपालन इंटरनेशनल स्कूल 2010 में बनाया गया था, हालांकि स्कूल ने इस आरोप से इनकार किया है कि उसने किसी भी जमीन पर कब्जा कर लिया है.

बेंगलुरु:

एक हफ्ते पहले जब बेंगलुरु में भारी बारिश हुई, तो शहर के महादेवपुरा क्षेत्र में गोपालन इंटरनेशनल स्कूल जलमग्न हो गया. वहीं सोमवार को स्कूल में क्रिकेट की पिच खुदाई करने वाली मशीन काम कर रही थी. बेंगलुरू नागरिक निकाय ने पानी की नालियों पर लगभग 700 अतिक्रमणों की पहचान की है और जमीन पर मौजूद अधिकारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अतिक्रमण जल्द ही साफ हो जाए.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह गति जारी रहेगी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के सहायक कार्यकारी अभियंता श्रीनिवास ने कहा, "किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा, चाहे वह अमीर हो या गरीब. पानी के नाले पर अतिक्रमण करके स्कूल ने खेल का मैदान विकसित किया है. लगभग 7.5 मीटर नाली इस खेल के मैदान के नीचे है और इस पर बीबीएमपी के अधिकारियों का ध्यान नहीं गया है."

गोपालन इंटरनेशनल स्कूल 2010 में बनाया गया था, हालांकि स्कूल ने इस आरोप से इनकार किया है कि उसने किसी भी जमीन पर कब्जा कर लिया है.

गोपालन फाउंडेशन के हेड ग्रुप एडमिन सुनील कालेवर ने कहा, "हमने अतिक्रमण नहीं किया है, लेकिन जमीन का सिर्फ एक हिस्सा पानी के नाले पर है. हम पुलिस और नागरिक निकाय के साथ सहयोग कर रहे हैं. स्कूल ने पिछले सप्ताह बाढ़ की सूचना दी थी और इस बार बारिश की तीव्रता अधिक थी. झील में पानी भी बढ़ गया था, जिसके कारण बाढ़ आ गई थी."

इस स्कूल के परिसर की दीवार से लगभग 100 मीटर की दूरी पर महावीर अपार्टमेंट है, अपार्टमेंट का एक हिस्सा भी नाले पर बनाया गया है.

NDTV ने उस अपार्टमेंट के निवासियों से विशेष रूप से बात की, जिनकी इमारत आने वाले दिनों में ढहने की संभावना है. निवासी सरकार और बिल्डरों के बीच गठजोड़ को दोष देते हैं और यह जानने की मांग करते हैं कि उनकी गलती क्या है.

एक निवासी कर्नल कृष्णन ने एनडीटीवी को बताया, "अगर सरकार, नौकरशाहों और बिल्डरों के बीच सांठगांठ नहीं थी, तो फिर एक नाले पर अपार्टमेंट बनाने की अनुमति कैसे दी गई? सरकारी अधिकारियों ने मंजूरी योजना के लिए अनुमति दी और अब वे खुद नियम को तोड़ रहे हैं. हम अदालत का रुख करेंगे, हमें स्थगन आदेश मिलेगा."

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एक सेवानिवृत्त डिप्टी टैक्स कमिश्नर और एक अन्य निवासी एचएस सिंह, जो अपने अपार्टमेंट को तोड़े जाने से चिंतित हैं, उन्होंने कहा, "मेरी सारी बचत इस अपार्टमेंट में चली गई है. अब हमें बताया जा रहा है कि मेरा अपार्टमेंट पानी के नाले पर बैठा है. हमें अपने दस्तावेज मिल गए हैं. अपार्टमेंट खरीदने से पहले शुरू में एक वकील के माध्यम से जांच की गई. हमारी क्या गलती है? सरकार को हमारे लिए एक वैकल्पिक आवास की व्यवस्था करने दें."