भूमि पूजन पर बोली शिवसेना- बाल ठाकरे का सपना पूरा, कारसेवकों की कुर्बानी भुलाने वाले 'रामद्रोही'

भूमि पूजन के मौके पर शिवसेना के कई नेताओं के ओर से प्रतिक्रियाएं आई हैं. वहीं. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में कहा गया है कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के समय जो लोग ‘कार सेवकों’ की कुर्बानी को भूल गए, वे ‘राम द्रोही’ हैं

भूमि पूजन पर बोली शिवसेना- बाल ठाकरे का सपना पूरा, कारसेवकों की कुर्बानी भुलाने वाले 'रामद्रोही'

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में की गई टिप्पणी. (उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो)

मुंबई:

शिवसेना ने बुधवार को कहा कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का भूमि पूजन होने से पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे का सपना ‘साकार' हुआ. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने इस कार्यक्रम को एक ‘खुशी का पल' बताया और कहा कि भगवान राम सभी भारतीयों के भगवान हैं. भूमि पूजन के मौके पर पार्टी के कई नेताओं के ओर से प्रतिक्रियाएं आई हैं. वहीं. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में कहा गया है कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के समय जो लोग ‘कार सेवकों' की कुर्बानी को भूल गए, वे ‘राम द्रोही' हैं.

राज्यसभा में शिवसेना के सांसद संजय राउत ने ट्वीट किया, ‘बाला साहेब का सपना साकार.' राज्य के एनसीपी प्रमुख और मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र सांगली जिले में हमेशा भगवान राम के मंदिर में पूजा करते हैं.
पाटिल ने ट्वीट किया, ‘राम मंदिर का भूमि पूजन आज अयोध्या में हो रहा है. यह हम सभी के लिए खुशी की बात है. हम हमेशा अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रभु श्रीराम के मंदिर में भक्ति भाव से पूजा करते हैं.' उन्होंने कहा, ‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम हमेशा भारतीयों के देवता रहेंगे.'

'किसी को श्रेय क्यों नहीं लेना चाहिए?'
उधर, 'सामना' में बुधवार को छपे संपादकीय में कहा गया है कि यह भूमि पूजन' पूरे देश और हिंदुओं का कार्यक्रम है लेकिन यह कैसा हठी फैसला है कि किसी को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए? ‘सामना' में दावा किया गया है कि यह कार्यक्रम ‘व्यक्ति केंद्रित और राजनीतिक पार्टी केंद्रित' है. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा, ‘जहां राम मंदिर का निर्माण होगा, वहां की मिट्टी में ‘कार सेवकों' की कुर्बानी की गंध है. जो यह बात भूल गए हैं, वे राम द्रोही हैं.'

बता दें कि अयोध्या में दिसंबर, 1992 में मस्जिद को ‘कार सेवकों' ने गिरा दिया था. कार सेवकों का दावा था कि प्राचीन राम मंदिर इसी स्थल पर था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था और केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को शहर के ‘प्रमुख स्थान' पर नए मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन मुहैया कराएं.

'शिवसेना को भी आमंत्रित नहीं किया गया'
शिवसेना ने दु:ख व्यक्त किया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले रिटायर्ड चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया. ‘सामना' में कहा गया कि बाबरी मस्जिद को गिराने में अहम भूमिका निभाने वाली शिवसेना को भी आमंत्रित नहीं किया गया. शिवसेना ने कहा, ‘यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि मोदी के शासनकाल में इस मामले का कानूनी समाधान निकला. अन्यथा, गोगोई को सेवानिवृत्ति के बाद राज्यसभा का सदस्य नहीं बनाया गया होता.'

पार्टी ने कहा कि बाबरी कार्य समिति के इकबाल अंसारी को कार्यक्रम का न्यौता मिला. 'सामना' में कहा गया कि अंसारी ने इस लड़ाई को 30 साल तक खींचा, जबकि ‘गोगोई ने भगवान राम को कानूनी पेंच से बाहर निकाला'. इसमें कहा गया कि विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना और आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान लाठियां और गोलियां खाईं और कइयों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी. शिवसेना ने कहा कि ‘भूमि पूजन' के साथ ही बुधवार को राम मंदिर का मुद्दा सभी के लिए समाप्त हो जाना चाहिए. सामना में कहा गया कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी पार्टियों की भावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए. सामना में कहा गया कि बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने राम मंदिर निर्माण का श्रेय दिवंगत कांग्रेस नेताओं पी वी नरसिम्हा राव और राजीव गांधी को दिया है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)