Rajasthan Political Crisis: सचिन पायलट और अशोक गहलोत (Sachin Pilot vs. Ashok Gehlot) के बीच की लड़ाई में सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई शुरू हुई. इस दौरान स्पीकर सीपी जोशी का पक्ष रख रहे वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने जजों के सामने उनकी ओर से कहा कि 'मैं कोई रोबोट या पोस्ट ऑफिस नहीं हूं.' स्पीकर की ओर से पक्ष रखते हुए सिंघवी ने कहा कि सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों पर की गई कार्रवाई को हल्के में नहीं शुरू किया गया था. उनकी तरफ से इन बागी विधायकों को 'पार्टी-विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने' के आरोप में अयोग्य ठहराने का नोटिस दिए जाने को सही ठहराया गया.
सिंघवी ने स्पीकर की ओर क्या दलीलें दीं?
सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई को हल्के में नहीं शुरू किया गया था और उनकी पार्टी की ओर से पायलट पर कांग्रेस की ओर से जो आरोप लगाए गए हैं, वो कोई बहुत विचित्र नहीं हैं. स्पीकर की ओर से इस बात पर जोर दिया गया कि वास्तव में वो मंगलवार की शाम से पहले पायलट खेमे के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे.
सिंघवी ने अपनी दलील के दौरान कहा कि 'कोर्ट का इस मामले में क्षेत्राधिकार नहीं बनता है. विधायकों की अयोग्यता को लेकर अभी कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता है. ये अधिकार स्पीकर के पास है.' सिंघवी ने कहा कि विधानसभा की कार्रवाई में कोर्ट दखल नहीं दे सकता. उन्होंने कहा कि जब तक स्पीकर फैसला नहीं कर लेते कोर्ट दखल नहीं दे सकता.
इस केस में पायलट का पक्ष देश के दो बड़े नामी वकीलों- मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे देख रहे हैं. मुकुल रोहतगी 2017 तक अटॉर्नी जनरल थे, वहीं हरीश साल्वे कुछ अंतरराष्ट्रीय मामलों सहित कई मामलों में मोदी सरकार को सलाह देते हैं. सिंघवी ने पिछले हफ्ते बताया था कि पायलट ने अपना पक्ष रखने के लिए पहले उन्हें कॉल किया था. लेकिन सिंघवी पहले से ही स्पीकर का पक्ष रख रहे थे, जिसके चलते उन्होंने पायलट का आग्रह स्वीकार नहीं किया. सिंघवी ने NDTV से बातचीत में कहा था, 'मैंने हंसते हुए उनसे कहा कि सम्मानजनक तरीका यही होगा कि मैं उनको बता दूं कि मैं उनसे बात नहीं कर सकता क्योंकि मैं मामले में दूसरे पक्ष को सलाह दे रहा हूं और फिर हम इस बात पर खूब हंसे और फिर बात वहीं खत्म हो गई.'
कांग्रेस का पायलट पर आरोप
कांग्रेस का आरोप है कि अपना पक्ष रखने के लिए पायलट का उन्हें चुनना उन्हें गहलोत सरकार को गिराने की बीजेपी की मंशा के करीब लाता है. वहीं, कांग्रेस ने पायलट को एक दूसरी बात के लिए भी निशाना बनाया है. कांग्रेस का दावा है कि पायलट खेमे के विधायक बीजेपी की सरकार वाले राज्य हरियाणा में मनोहर खट्टर की सरकार के संरक्षण में रुके हुए हैं.
कांग्रेस का कहना है कि गहलोत ने पिछले हफ्ते विधायक दल की दो बैठकें बुलाई थीं, जिसमें वो नहीं आए, जिसका मतलब है कि वो अपनी पार्टी के खिलाफ गए. ऐसे में उन्हें पार्टी के विधायक की सदस्यता से हटा देना चाहिए. लेकिन इसके खिलाफ पायलट के वकीलों का कहना है कि पार्टी के विधायकों के पास अपनी पार्टी से असहमत होने का अधिकार है और अभी सदन का सत्र भी नहीं चल रहा है, ऐसे में उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता.
Video: गहलोत का पायलट पर तीखा हमला, बोले, "मैं जानता था निकम्मा है"
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