महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के लिए एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। चुनाव आयोग ने पेड न्यूज के एक मामले में कानून के मुताबिक अपने चुनावी खर्चे की जानकारी देने में नाकाम रहने पर चव्हाण को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे पूछा है कि उन्हें क्यों न अयोग्य घोषित कर दिया जाए।
चव्हाण को नोटिस का जवाब देने के लिए 20 दिन का वक्त देते हुए आयोग ने कहा कि वह 'जनप्रतिनिधित्व कानून एवं नियमों के मुताबिक चुनावी खर्च के हिसाब की जानकारी देने में नाकाम रहे।'
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर चुनाव आयोग ने पिछले मई में चव्हाण को एक नोटिस जारी किया था ताकि वह 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान अपने कथित चुनावी खचरें से जुड़े मामले में आयोग के समक्ष पेश हों। आयोग ने उन खर्चे को 'पेड न्यूज' का मामला माना था।
अगर चव्हाण को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया जाता है तो उनकी मौजूदा लोकसभा सदस्यता पर असर पड़ सकता है, जबकि यह मामला विधानसभा चुनावों में उनके चुनाव लड़ने से जुड़ा हुआ है।
चुनाव आयोग के आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 10 के तहत आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किया जाने वाला कोई उम्मीदवार अगले तीन साल तक न तो संसद के किसी सदन और न ही राज्य विधानमंडल के कोई चुनाव लड़ सकता है। आदेश के मुताबिक, ऐसा उम्मीदवार अगर पहले से ही किसी सदन का सदस्य है तो वह चुनाव आयोग के आदेश की तारीख से उस सदन का सदस्य नहीं रह सकेगा।
चुनाव आयोग के आदेश के पैरा 70 के मुताबिक, 'लिहाजा, 22 मई 2014 को महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्यता से प्रतिवादी के इस्तीफे का आयोग में चल रही कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा और किसी तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने तक कार्यवाही निर्बाध जारी रहेगी।'
मुख्य चुनाव आयुक्त वीएस संपत, चुनाव आयुक्त एचएस ब्रह्मा और चुनाव आयुक्त एसएनए जैदी की सदस्यता वाली आयोग की पूर्ण पीठ ने 104 पन्नों का आदेश जारी किया। पीठ ने इस मुद्दे पर 19 जून को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस संबंध में संपर्क किए जाने पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि वह नोटिस देखने के बाद उसका जवाब देंगे।
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