
बिहार विधानसभा चुनाव का मैदान सज चुका है. सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से ताल ठोक रहे हैं. मुख्य मुकाबला सत्तारूढ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच है. इन अलावा प्रशांत किशोर का जन सुराज और असदुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) इस मुकाबले को त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बनाने की कोशिशें कर रही हैं.
बिहार में क्या कोशिश कर रही है एआईएमआईएम
प्रशांत के जन सुराज तो अकेले ही चुनाव मैदान में उतरी है. लेकिन एआईएमआईएम एक गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में जाने की कोशिश में है. इसके लिए उसने अभी उत्तर प्रदेश के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की अपना जनता पार्टी से समझौता किया है. ऐसी खबरें हैं कि गठबंधन के लिए एआईएमआईएम लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे जनशक्ति जनता दल से बातचीत भी कर रही है. बिहार में स्वामी प्रसाद मौर्य का कोई जनधार नहीं है. लेकिन अगर तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल इस गठबंधन में शामिल हो जाता है. तो इस गठबंधन को अच्छी सीटें मिलने की उम्मीद की जा सकती है.
बिहार चुनाव के लिए तीसर मोर्चा बनाने के संकेत एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कुछ दिन पहले ही दिए थे. सीमाचंल के किशनगंज में ओवैसी ने कहा था, ''मैं बिहार में कई साथियों से मिलने और नई मित्रता करने के लिए उत्सुक हूं. राज्य की जनता को एक नया विकल्प चाहिए और हम वही बनने की कोशिश कर रहे हैं.'' एआईएमआईएम की कोशिश बिहार की 242 में से कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की है. वह सीमांचल के नाम से मशहूर कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया के अलावा गया, मोतिहारी, नवादा, जमुई, भागलपुर, सिवान, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, वैशाली और गोपालगंज जिले से चुनाव लड़ने की कोशिश में है. इन जिलों में मुसलमान आबादी ठीक-ठाक है.
साल 2020 के चुनाव में एआईएमआईएम
एआईएमआईएम ने 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बसपा और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से हाथ मिलाया था. लेकिन इस गठबंधन में एआईएमआईएम और बसपा को छोड़ कोई भी दल कोई सीट नहीं जीत पाया था. एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे पांच सीटें मिली थीं. लेकिन एआईएमआईएम जिन सीटों पर हारी उनमें से किसी पर भी दूसरा स्थान नहीं मिला था. उसे चार सीटों पर तीसरा स्थान मिला था. एआईएमआईएम को 1.3 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन एआईएमआईएम के पांच में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. वहीं बसपा का एकमात्र विधायक जेडीयू में शामिल हो गया था.
एआईएमआईएम ने जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 14 सीमांचल की थीं. उसे इन 14 में से अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन पर जीत मिली थी. ये सभी सीटें 2015 में महागठबंधन ने जीती थीं.
एआईएमआईएम ने 2015 में पहली बार बिहार की सरजमीं पर कदम रखा था. उस साल गुए विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल की छह सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. लेकिन वह कोई सीट नहीं जीत पाई थी. किशनगंज के कोचाधामन विधानसभा सीट से एआईएमआईएम उम्मीदवार अख्तरुल ईमान को करीब 37 हजार वोट मिले थे. उनके अलावा एआईएमआईएम का कोई भी उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया था.
अकेले लड़ेगी एआईएमआईएम की पुरानी दोस्त बसपा
पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की हमसफर रही बहुजन समाज पार्टी बिहार इस बार एकला चलो के मोड में है. वह अकेले के दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद लगातार बिहार में सक्रिय है.
वहीं उत्तर प्रदेश में एनडीए में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) सीट बंटवारे में जगह ने मिलने से नाराज हैं. सुभासपा के प्रमुख और योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में शामिल ओपी राजभर ने बिहार के 153 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि बिहार में हम एक मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ेंगे. उनका कहना है कि इससे बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: भाकपा माले ने बिहार चुनाव के लिए 18 उम्मीदवारों का किया ऐलान, देखें नाम और कौन-कौन सी मिली सीट
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं