Asaduddin Owaisi On Waqf Act: असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ एक्ट पर NDTV से खास बात की.
Asaduddin Owaisi On Waqf Act: वक्फ एक्ट जब से बना है, तब से बवाल जारी है. अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. गुरुवार को वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7 दिन का वक्त दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह शर्त भी लगाई कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया जाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया. कोर्ट ने कहा कि मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना संभव नहीं है. कोर्ट अब केवल 5 पर ही सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यदि किसी वक्फ प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन 1995 के अधिनियम के तहत हुआ है तो उनको नहीं छेड़ा जा सकता. सु्प्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एक याचिका असदुद्दीन ओवैसी की है. कोर्ट में भी आज वो मौजूद रहे. NDTV से उन्होंने सभी मुद्दों पर खुलकर बात की.
सवाल: सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश को क्या आप अपनी जीत मानते हैं?
असदुद्दीन ओवैसी: देखिए, जो दूध का जला होता है, वो छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है. ये हमारे हक की लड़ाई है. हमारी शुरू से लड़ाई ये रही कि ये कानून असंवैधानिक है. ये कानून वक्फ की संपत्तियों को बचाने के लिए मोदी सरकार नहीं ला रही, बल्कि लूटने के लिए ला रही है. लिमिटेशन एक्ट सरकार लागू करेगी. जो वर्षों से वक्फ की प्रॉपर्टी पर काबिज हैं, वो मालिक बनाए जाएंगे. 5 साल का जो कंडिशन लगा है कि जो 5 साल मुस्लिम धर्म का प्रैक्टिस करने वाला होने चाहिए. कौन तय करेगा ये? मेरी दाढ़ी बड़ी होनी चाहिए या बाबा की तरह मुझे क्लीन सेव होना पड़ेगा कि मैं मुस्लिम धर्म का पालन करने वाला हो जाऊंगा, और खासकर महिलाओं का कैसे आप तय कीजिएगा कि वो प्रैक्टिस कर रही हैं कि नहीं. फिर आप नियम ऐसे बनाएंगे कि फेडरलिज्म को प्रभावित करेगा. आज के इस अंतरिम राहत के बाद भारत का सबसे दौलतमंद आदमी, जिसने यतीमखाने पर अपना महल तामील किया है, सेक्शन 2 से वो मालिक बन जाएगा. मैं चैलेंज कर रहा हूं बीजेपी को कि मुझे झुठा साबित करे. अभी कानूनी जंग चलेगी और अभी ये खत्म नहीं हुआ है और अभी भी मुसलमान अपनी वक्फ प्रॉपर्टी से महरूम हो रहे हैं.
सवाल: सुप्रीम कोर्ट का आज का रुख क्या इशारा करता है
असदुद्दीन ओवैसी: सुप्रीम कोर्ट के बारे में पर्सनल ओपिनियन नहीं दिया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने ये कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्ड कंस्टीट्यूट नहीं होगा. अभी आदेश देखना पड़ेगा. अभी ऑर्डर अपलोड नहीं हुआ है. हुआ हो तो मैंने देखा नहीं. जो सुना वो बता रहा हूं. हालांकि, इससे नुकसान भी मुस्लिम समुदाय को हो रहा है. सरकार तो अपना काम करेगी और जितने कब्जेधारी हैं, उन्हें लिमिटेशन एक्ट का इस्तेमाल कर मालिक बना देगी. अभी लीगल बैटल जारी है और आगे लंबी चलेगी. हमारी मंजिल यही है कि ये कानून असंवैधानिक है. काला कानून है. इसको सरकार को वापस लेना पड़ेगा या नहीं तो कोर्ट में हम इसको साबित करेंगे. हमारे पास बड़े-बड़े वकील हैं. हमारा प्रोटेस्ट जारी रहेगा और पीसफुल रहेगा.
सवाल: वक्फ पर आरोप क्यों लगते हैं
असदुद्दीन ओवैसी: देखिए, कोई प्रॉपर्टी वक्फ कैसे हो सकती है? सबसे पहले ये समझना जरूरी है. जैसे मान लीजिए कि कोई व्यक्ति हिंदू होते हुए भी वक्फ को अपनी प्रॉपर्टी देना चाहता है तो वह व्यक्ति वक्फ बोर्ड को लेटर लिखता है फिर वक्फ बोर्ड सर्वे कमिश्वर को लिखता है. फिर वो चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखता है कि मैं सर्वे करूंगा, सर्वे कर पूछते हैं कि क्या वो प्रॉपर्टी उसी व्यक्ति की है, जब पता चलेगा कि जमीन उसी व्यक्ति की है तो सर्वे कमिश्नर चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखता है और चीफ सेक्रेटरी उस बुनियाद पर गजटेड नोटिफिकेशन जारी करते हैं. वो लीगल डॉक्यूमेंट है. जब सरकारें लीगल डॉक्यूमेंट जारी करती हैं तो आप हमें कैसे गाली दे रहे हैं.
सवाल: संसद से लेकर कई महत्वपूर्ण इमारतों को वक्फ का बताया जाता है, आपकी राय
असदुद्दीन ओवैसी: हैदराबाद में एक चौरस्ता है, जहां एक आदमी बैठकर बोलता है कि मैं पूरी दुनिया का बादशाह हूं. वो कहता है कि ये मेरा है. ये देश मेरा है बल्कि वो कहता है कि पूरी दुनिया मेरी है. अब दीवानों की कमी तो है नहीं भारत में. मगर कानून के लिहाज से आपको बताना पड़ेगा अगर संपत्ति आपकी है तो. मैं अगर अपनी प्रॉपर्टी दान दे रहा हूं तो मैं अपनी प्रॉपर्टी दान देता हूं. सरकार बताए कि किस सेक्शन से वो गरीब मुसलमानों और खासकर पसमांदा मुसलमानों का भला कर रही है. इतना प्रेम है पसमांदा से तो एक पसमांदा सांसद उनके पास क्यों नहीं हैं. हम उम्मीद करते हैं कि कानूनी लड़ाई लंबी न हो. तारीख नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को कभी माफ नहीं करेगी.
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