दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javdekar) को चिट्ठी लिखी है. सीएम केजरीवाल ने पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय मांगा था, समय ना मिलने पर चिट्ठी लिखी है. केजरीवाल ने उनसे IARI द्वारा पराली को खाद बनाने के लिए बनाए गए केमिकल को मान्यता दिलाने के चर्चा के लिए समय मांगा था. केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में पराली के निपटारे के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तकनीक का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के आसपास के राज्यों को इस तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए.
केजरीवाल ने कहा, 'भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पराली का सस्ता और सरल समाधान निकाला है. उन्होंने एक ऐसा केमिकल बनाया है, जिसका खेत में छिड़काव करने से पराली गल जाती है और खाद बन जाती है. किसानों को पराली को जलाना नहीं पड़ेगा. दिल्ली में हम इस पद्धति को इस वर्ष से बड़े स्तर पर इस्तेमाल करने वाले हैं और हम सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली में पराली बिल्कुल ना जलाई जाए. मैं समझता हूं कि इस वर्ष समय बहुत कम रह गया है लेकिन अभी भी हम सब मिलकर कोशिश करें तो कुछ पराली को तो जलने से रोक पाएंगे. अभी कम समय में भी जितना हो सके, इसको आसपास के राज्यों में किसानों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए.'
क्या है ये तकनीक?
पराली को खाद में बदलने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 20 रुपये की कीमत वाले 4 कैप्सूल का एक पैकेट तैयार किया है. प्रधान वैज्ञानिक युद्धवीर सिंह ने कहा, '4 कैप्सूल से छिड़काव के लिए 25 लीटर घोल बनाया जा सकता है और 1 हेक्टेयर में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले 5 लीटर पानी मे 100 ग्राम गुड़ उबालना है और ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना है. इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा, जिसके बाद पराली पर छिड़काव के लिए पदार्थ तैयार हो जाता है. इस घोल को जब पराली पर छिड़का जाता है तो 15 से 20 दिन के अंदर पराली गलनी शुरू हो जाती है और किसान अगली फसल की बुवाई आसानी से कर सकता है. आगे चलकर यह पराली पूरी तरह गलकर खाद में बदल जाती है और खेती में फायदा देती है.'
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अनुसंधान के वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसी भी कटाई के बाद ही छिड़काव किया जा सकता है. इस कैप्सूल से हर तरह की फसल की पराली खाद में बदल जाती है और अगली फसल में कोई दिक्कत भी नहीं आती है. कैप्सूल बनाने वाले वैज्ञानिकों ने पर्याप्त कैप्सूल के स्टॉक का दावा किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, पराली जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व भी जल जाते हैं और इसका असर फसल पर होता है. युद्धवीर सिंह ने कहा कि ये कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा बनाए गए हैं. ये कैप्सूल 5 जीवाणुओं से मिलकर बनाए गए हैं, जो खाद बनाने की रफ्तार को तेज करते हैं.
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