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This Article is From Mar 22, 2024

अरविंद केजरीवाल : नौकरशाह, कार्यकर्ता से लेकर सियासी नेता के रूप में उतार-चढ़ाव भरा सफर

भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में चर्चित हुए और राजनीति में आए अरविंद केजरीवाल दिल्ली के कथित आबकारी घोटले के मामलें में चुनाव से पहले गिरफ्तार

अरविंद केजरीवाल : नौकरशाह, कार्यकर्ता से लेकर सियासी नेता के रूप में उतार-चढ़ाव भरा सफर
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली में किए गए ऐतिहासिक ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के साथ सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले और लगातार तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्डरिंग के मामले में गिरफ्तार कर लिया. अरविंद केजरीवाल का करियर नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और फिर सियासी नेता के रूप में उतार-चढ़ाव से भरा रहा है.

आम आदमी पार्टी (आप) के संस्थापक संयोजक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब उनकी पार्टी विपक्षी दलों के ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (INDIA) गठबंधन के घटक के तौर पर दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में लोकसभा चुनाव के दौरान जीत हासिल करने के गंभीर प्रयास कर रही है.

‘आप' के 55 वर्षीय नेता केजरीवाल की गिरफ्तारी से पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि वे लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की योजनाओं और रणनीति के केंद्र में रहे हैं. उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी को अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इसके कई अन्य वरिष्ठ नेता या तो जेल में हैं या राजनीतिक अज्ञातवास में हैं.

केजरीवाल के विश्ववसनीय सहयोगी राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति मामले में जेल में हैं, जबकि एक अन्य विश्वस्त सहयोगी सत्येन्द्र जैन मनी लॉन्डरिंग के एक अन्य मामले में जेल में हैं.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) से ग्रेजुएट अरविंद केजरीवाल ने पहली बार 2013 में कांग्रेस के बाहरी समर्थन से दिल्ली में बनी ‘आप' सरकार का नेतृत्व किया था.

नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में उनका मुकाबला दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से हुआ था और उन्होंने अपने चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्हें 22,000 मतों के अंतर से हराकर की थी.

हालांकि आम आदमी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन सरकार केवल 49 दिनों तक चली क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित करने में असमर्थ होने के कारण इस्तीफा दे दिया.

दिल्ली में पहले ही चुनाव में पार्टी को मिली जीत से उत्साहित केजरीवाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार और तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के साथ मुकाबला करने की घोषणा की, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.

अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने 'आप' को 67 सीटों पर जीत दिलाई और मोदी लहर पर सवार बीजेपी को केवल तीन सीटों पर सीमित कर दिया, जबकि कांग्रेस शून्य सीट पर चली गई. दिल्ली विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव के लिए उन्होंने 2013 में 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान अपने कार्यों के लिए लगातार माफी मांगी और फिर से पद नहीं छोड़ने का वादा किया.

केजरीवाल 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरे और अगले साल गांधी जयंती (दो अक्टूबर) को अपने करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में ‘आप' की स्थापना की. महज 12 साल की छोटी सी अवधि में केजरीवाल ने अकेले दम पर आम आदमी पार्टी को भाजपा और कांग्रेस के बाद देश का तीसरी सबसे बड़ा राष्ट्रीय दल बना दिया. ‘आप' का असर न केवल दिल्ली और पंजाब में है, बल्कि सुदूर गुजरात और गोवा में भी देखने को मिला है.

केजरीवाल को उनके 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के दिनों में नेताओं ने वास्तविक राजनीति का स्वाद चखने के लिए सक्रिय राजनीति में आने की चुनौती दी थी. जब वह राजनीति में आए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों को अपनी राजनीति और शासन के केंद्र में रखने में कामयाब रहे. हालांकि, उनके विरोधियों ने लोकपाल के अपने वादे को छोड़ने के लिए उनकी आलोचना की.

केजरीवाल 2011 में कांग्रेस नीत तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के लगे आरोपों और जनता के व्यापक गुस्से के कारण एक कार्यकर्ता के रूप में प्रमुखता से उभरे. उन्होंने अभी भी देश में स्वास्थ्य और शिक्षा की जर्जर स्थिति के लिए नेताओं को निशाना बनाना जारी रखा है.

उन्होंने अपनी करीब एक दशक की राजनीतिक यात्रा में कई तरह के कदम उठाए हैं, चाहे वह विपक्षी दलों के ‘इंडिया' गठबंधन में शामिल होना हो जिसके नेताओं पर वह पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं या ‘नरम हिंदुत्व' का दृष्टिकोण अपनाना, जिसका उदाहरण उनकी मुफ्त तीर्थयात्रा और हाल में दिल्ली विधानसभा में ‘जय श्री राम' के नारे लगाना है. एक बार उन्होंने देश की आर्थिक समृद्धि के लिए मुद्रा पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की मांग की थी.

आबकारी घोटाला मामले में केजरीवाल के जेल जाने से आप के भ्रष्टाचार मुक्त शासन और वैकल्पिक राजनीति के दावे को बड़ा झटका लगा है. केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन का बचाव करते हुए भ्रष्टाचार को ‘देशद्रोह' कहते थे और दावा करते थे कि आप भगत सिंह द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलती है.

भ्रष्टाचार के एक मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी वास्तव में उनकी पहले वाली छवि से एक बड़ा बदलाव है, जिसमें आप नेता ने 2013 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार पर ‘बढ़े हुए' पानी और बिजली के बिल को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के वास्ते 14 दिनों का अनशन किया था.

केजरीवाल ने देश के शीर्ष नेताओं में खुद को स्थापित करने के बाद अपनी राजनीतिक यात्रा की अपेक्षाकृत कम अवधि में एक लंबा सफर तय किया है. उन्होंने 2014-15 के आसपास एक नई पार्टी के पतले, चश्माधारी, मफलर पहने नेता के रूप में कार्य शुरू किया और इसकी वजह से उन्हें ‘मफलरमैन' का उपनाम मिला.

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