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This Article is From Oct 15, 2015

पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों से जेटली ने पूछा, विरोध सचमुच का या गढ़ा हुआ?

पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों से जेटली ने पूछा, विरोध सचमुच का या गढ़ा हुआ?
अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: देश में बढ़ती सांप्रदायिकता के विरोध में साहित्यकारों के पुरस्कार लौटाने पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सवाल उठाए हैं। अपने फेसबुक पेज पर जेटली ने सवालिया लहज़े में लिखा है कि यह विरोध सचमुच का है या गढ़ा हुआ? क्या ये वैचारिक असहनशीलता का मामला नहीं है?

पुरानी सरकारों के समय मिला सम्मान
जेटली ने लिखा कि कई ऐसे लेखक हुए जिनका झुकाव वाम और नेहरू विचारधारा के प्रति रहा। पुरानी सरकारों के समय उन्हें सम्मान मिला। इनमें से कई ने मोदी जी के खिलाफ उस वक्त भी आवाज उठाई थी जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जब केंद्र में मोदी सरकार बनी तो ऐसे लेखकों की बेचैनी बढ़ गई, जिन्हें पुरानी व्यवस्था में सरंक्षण मिला हुआ था।

मोदी विरोधियों ने दूसरी तरह से राजनीति का रास्ता चुना
जेटली ने लिखा कि ऐसे लोगों को पता है कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है और वाम हाशिए पर आ चुका है। ऐसे में अब बीजेपी और मोदी विरोधियों ने दूसरी तरह से राजनीति का रास्ता चुना है। ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि मोदी सरकार में माहौल खराब हो रहा है।

दादरी जैसी घटनाओं से देश की छवि खराब होती है
जेटली ने कहा कि केंद्र को वैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जो राज्यों की कानून-व्यवस्था का मामला है। जेटली ने दादरी की घटना पर कहा कि ऐसी घटनाओं से देश की छवि खराब होती है।

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