फाइल फोटो- अरुण जेटली
नई दिल्ली:
डीडीसीए में अनियमितताओं को लेकर अपनी ही पार्टी के सांसद कीर्ति आज़ाद के हमले से घिरे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर जवाबी हमला बोला है। हालांकि कीर्ति आज़ाद को लेकर उन्होंने इसमें कोई बात नहीं कही है।
संसद के शीतकालीन सत्र में ख़राब कामकाज के लिए कांग्रेस दोषी : जेटली
अरुण जेटली ने संसद के शीतकालीन सत्र में ख़राब कामकाज के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि पिछले दो सत्रों में कांग्रेस का साफ़ रुख़ दिखा है कि संसद को न चलने दिया जाए। कांग्रेस के अधिकतर नेता निजी बातचीत में अपने नेतृत्व के इस फ़ैसले पर असमर्थता जताते हैं। सवाल ये उठता है कि भारत क़ानून कैसे बनाएं? जेटली ने ये भी लिखा है कि क्या पिछले बजट सत्र से जीएसटी में देरी करने से देश का नुकसान नहीं हुआ है। सत्र के आख़िरी दिन कई अहम विधेयकों को बिना चर्चा के पास कर दिया जाना कितना ठीक है? क्या संसद ऐसे क़ानून पर अपना दिमाग लगाती भी है?
भारतीय राजनीति में भद्दी भाषा के इस्तेमाल पर भी उठाए सवाल
जेटली ने भारतीय राजनीति में भद्दी भाषा पर भी सवाल उठाए... लिखा कि कुछ अर्सा पहले बीजेपी के कुछ सदस्यों ने जब ऐसी भाषा इस्तेमाल की तो उसे पार्टी ने स्वीकार नही किया और ऐसे नेताओं को पार्टी अध्यक्ष ने चेतावनी दी, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रधानमंत्री और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल भाषा पर क्या कहा जाए। अगर भारत सरकार का कोई आदमी ऐसी भाषा का इस्तेमाल करे तो देशभर में उसका विरोध होगा।
'दिल्ली सरकार और उसके समर्थकों ने राजनीतिक विमर्श का स्तर गिराया'
उन्होंने आगे कहा, हम पदों पर बैठे लोगों से संयम बनाए रखने की उम्मीद होती है। भद्दी भाषा में झूठी बातें बोलना सच्चाई का विकल्प नहीं हो सकता। दिल्ली सरकार और उसके समर्थकों ने राजनीतिक विमर्श का स्तर गिरा दिया है। लगता है दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को ये ग़लत आभास करा दिया है कि भद्देपन से वोट मिलते हैं। भारतीय जनता ये सब समझती है।
संसद के शीतकालीन सत्र में ख़राब कामकाज के लिए कांग्रेस दोषी : जेटली
अरुण जेटली ने संसद के शीतकालीन सत्र में ख़राब कामकाज के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि पिछले दो सत्रों में कांग्रेस का साफ़ रुख़ दिखा है कि संसद को न चलने दिया जाए। कांग्रेस के अधिकतर नेता निजी बातचीत में अपने नेतृत्व के इस फ़ैसले पर असमर्थता जताते हैं। सवाल ये उठता है कि भारत क़ानून कैसे बनाएं? जेटली ने ये भी लिखा है कि क्या पिछले बजट सत्र से जीएसटी में देरी करने से देश का नुकसान नहीं हुआ है। सत्र के आख़िरी दिन कई अहम विधेयकों को बिना चर्चा के पास कर दिया जाना कितना ठीक है? क्या संसद ऐसे क़ानून पर अपना दिमाग लगाती भी है?
भारतीय राजनीति में भद्दी भाषा के इस्तेमाल पर भी उठाए सवाल
जेटली ने भारतीय राजनीति में भद्दी भाषा पर भी सवाल उठाए... लिखा कि कुछ अर्सा पहले बीजेपी के कुछ सदस्यों ने जब ऐसी भाषा इस्तेमाल की तो उसे पार्टी ने स्वीकार नही किया और ऐसे नेताओं को पार्टी अध्यक्ष ने चेतावनी दी, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रधानमंत्री और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल भाषा पर क्या कहा जाए। अगर भारत सरकार का कोई आदमी ऐसी भाषा का इस्तेमाल करे तो देशभर में उसका विरोध होगा।
'दिल्ली सरकार और उसके समर्थकों ने राजनीतिक विमर्श का स्तर गिराया'
उन्होंने आगे कहा, हम पदों पर बैठे लोगों से संयम बनाए रखने की उम्मीद होती है। भद्दी भाषा में झूठी बातें बोलना सच्चाई का विकल्प नहीं हो सकता। दिल्ली सरकार और उसके समर्थकों ने राजनीतिक विमर्श का स्तर गिरा दिया है। लगता है दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को ये ग़लत आभास करा दिया है कि भद्देपन से वोट मिलते हैं। भारतीय जनता ये सब समझती है।
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